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________________ मूर्तिलेख 1. खेड़ संबंधित प्राप्त प्राचीन संदर्भो का उल्लेख करने के पश्चात् प्राप्त मूर्तिलेखों के उद्धरण प्रस्तुत हैं। खेड़ स्थित मुख्य मंदिर के निकट जल संग्रह के लिये खुदाई का कार्य चल रहा था, उस समय कई प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए थे। जिनमें किसी जैन मंदिर के दो तोरण स्तम्भ (सफेद संगमरमर) भी प्राप्त हुए थे। ये दोनों तोरण स्तम्भ रणछोड़रायजी मंदिर के निकट ही एक दीवार के पास रखे हुये हैं। तोरण स्तंभों की मूर्तियाँ खंडित हो चुकी हैं। नीचे के भाग में लेख उत्कीर्ण है: ॥ॐ॥ श्री खेटे श्री भावदेवाचार्यगच्छे श्री ऋषभदेवचैत्ये वैद्य मनोरथ आभू माणिक थेहरू ---. पुत्र वीरचन्द्र देसल पुत्र पाल्हण आभू पुत्र रत्न---नागदेव नागमल्ल मनोरथ पुत्र - थिग माणिक पुत्र जिणचन्द्र - निचन्द्र थेहरू पुत्र पद्मदेवे --- नादिभिः वैद्य जगपाल -- त्म श्रेयोर्थ श्री ऋषभदेव चैत्य तोरण कारापित प्रतिष्ठितं श्री विजयसिंहसूरिभिः संवत् 1273 माघ सुदि लेख का सारांश यह है कि वि. सं. 1237 माघ सुदि - को खेड़ के ऋषभदेव चैत्य में वैद्य मनोरथ के वंशज वैद्य जगपाल ने आत्मकल्याण हेतु तोरण बनवाया। इसकी प्रतिष्ठा भावदेवाचार्यगच्छीय श्रीविजयसिंहसूरि ने करवाई। 2. जसोल के खरतरगच्छीय यति चुन्नीलालजी के उपाश्रय में मूर्ति का एक कलापूर्ण किन्तु खंडित शान्तिनाथ के आसन का परिकर प्राप्त है। इस पर वि.सं. 1243 का निम्न लेख उत्कीर्ण है: ऊँ सं. 1243 पौष वदि। श्री भावदेवाचार्यगच्छे श्री खेटीय श्रीऋषभदेवचैत्य श्रे. धांधल सुत विमचन्द्रेण भ्रात रासल थिरदेव --- पूनदेव बूलदेव आसानन्द --- महि :-- वाल्ही सुत मणोरह मूल -- सोमदेव भगिन्या रूपिणिपद्मिण्यादि समस्त दुटुम्ब सकितेन आत्म श्रेयोर्थ श्री शान्तिबिम्बं कारितं 3. जसोल के सुपार्श्वनाथ मंदिर में दो स्तम्भ प्राप्त हैं, जो पृथक्-पृथक् संवतों के हैं। दोनों लेखों में खेड़ का उल्लेख है। लेख इस प्रकार है: (1) संवत् 1210 श्रावण वदि 7 श्री विजयसिंहेन बालिग सासण प्रदत्तं खेडिजु होई सुजुकौ वासिगु लेइ कुहाडु लेइ तहि करिय गइह चडइ। (2) संवत् 1246 वर्ष कार्तिक वदि 2 श्रीभावदेवाचार्यगच्छे श्री खेट्टीय श्रीमहावीरमूल चैत्य श्र. सहदेव सुतेन सोनिगेन आत्मश्रेयोर्थं स्तं (भयुगं) प्रदत्तं // 2 // 4. जसोल के खरतरगच्छीय शान्तिनाथ मंदिर के एक पयासण पर निम्न है:ऊँ संवत् 1237 वर्ष आषाढ वदि -- लवणखेटे ----- विजयसिंह सूरिभिः 5. श्री नाहर जी ने जैन लेख संग्रह में लेखाङ्क 2176 में सं. 1247 में प्रतिष्ठित चौबीसी का लेख दिया है, जो निम्न है: // श्री नागेन्द्रगच्छे श्रीलवणखेटे श्रे. आवासुत श्रे. धणदेव भार्या धारन तत्पुत्र आमदेव गणदेव पुत्रदेव आसदेवादि समस्त समुदायेन चतुर्विंशतिजिनालयकारितं प्रतिष्ठितं श्री विजयसिंहसूरिभिः॥ सं. 1247 / वैशाख 294 लेख संग्रह
SR No.004446
Book TitleLekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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