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________________ उपरोक्त छहों लेख वि.सं. 1210 से 1247 के मध्य के हैं और इन सब में लवणखेट और खेट का उल्लेख प्राप्त है। प्राप्त लेखों और संदर्भो से स्पष्ट है कि 13वीं शती में 3 मंदिर ऋषभदेव मंदिर, महावीर स्वामी मंदिर और शांतिनाथ मंदिर तो अवश्यमेव विद्यमान थे। सं. 1243, 1210, 1246 और 1237 के चार * लेख इस समय जसोल में प्राप्त हैं। संभव है उस समय जसोल खेड़नगर की विस्तृत सीमा में एक मोहल्ला हो अथवा खेड़ के खण्डहर होते समय वे वहाँ से लेकर यहाँ मंदिरों में स्थापित किये गये हों। नाकोड़ा पार्श्वनाथ मंदिरस्थ पंचतीर्थी मंदिर में वि.सं. 1504 की पार्श्वनाथ की प्रतिमा है। उसके लेख में 'खेडभूम्यां महेवा स्थाने' शब्द अंकित है / इसमें भी यही लगता है कि 1504 तक महेवा खेड़ के अन्तर्गत ही था। यदि वर्तमान खेड की एवं उसके आस-पास के स्थलों की खुदाई करवाई जाए तो तत्कालीन प्राचीन अवशेष प्रचुर मात्रा में प्राप्त हो सकते हैं। पुरातत्वविदों से मेरा अनुरोध है कि अनुसंधान कर खेड़ की तत्कालीन संस्कृति, कला और साहित्य पर जो भी सामग्री उपलब्ध हो, प्रकाश में जाने का प्रयत्न करें। [गणिपद स्मारिका, पादरु] 900 1. म. विनयसागर : नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, लेखांक 19 लेख संग्रह 295
SR No.004446
Book TitleLekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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