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________________ यावादिप्रतिवादयस्यतमसासंपूरितामालवे न्यायान्यायविवेककारकमुखात्प्राचीककुब्सन्निभा निर्णीतार्थकराप्तयेकृतिसभा श्रीरत्नपू-मभूच्चितालाभनिमीलिकालयकरी भव्याविभावोपमा।। 2 / / तस्यांपाठकबालचन्दगणिभिर्निर्णन्यभावंगतैः संवेगिव्रतिऋद्धिसागरयुतैः श्रीसंघहूत्यागतै सिद्धांतप्रतिघप्रभाकरनिभः सन्दर्भएषहप्रियः ग्रंथान्वीक्षप्रकासितो मतिमयाम्बोधायनिर्णीयच।। 3 / / इन दोनों वादी प्रतिवादियों के मध्य में पाँच विषयों पर मतभेद था। 1. वादी:- परमेश्वर की जलचन्दन पुष्पिादिक के द्वारा जो द्रव्य पूजा करते हैं उसका फल अल्पपाप और अधिक निर्जरारूप है। प्रतिवादी:- झवेर सागरजी का कथन है कि परमेश्वर की द्रव्यपूजा का फल शुभानुबन्दी प्रभूततर निर्जरारूप है। 2. वादी:- प्रतिक्रमण और देववन्दन के मध्य में चौथी थुई नहीं कहना चाहिए, वैयावच्च गराणं आदि प्रमुख पाठ भी नहीं कहना चाहिए। सामायिक वन्दित्व में सम्मदिट्ठिदेवादिंतुसमाहिंचबोहिंच इस पद में देव शब्द नहीं कहना। क्योंकि, सामायिक में चार निकाय के देवताओं के सहयोग की वांछा करना युक्त नहीं है। प्रतिवादी:- चतुर्थ स्तुति और वैयावच्च गराणं प्रमुखपाठ कहना चाहिए। 3. वादी:- ललितविस्तराकार श्री हरिभद्रसूरि के समय निर्णय के सम्बन्ध में है। वादी 962 वर्ष मानते हैं, प्रतिवादी 585 वर्ष मानते हैं। . 4. वादी:- साधु को वस्त्र रंजन करना अर्थात् धोना अनाचार है। प्रतिवादी:- इनका कहना है कि यह अनाचार नहीं है। 5. वादी:- पार्श्वस्थ आदि को सर्वथा वंदन नहीं करना। प्रतिवादी:- जिसमें ज्ञानदर्शन हो और चारित्र की मलिनता हो उसको भी उस गुण के आश्रित वन्दन करना चाहिए। ये पाँचों प्रश्न जब निर्णायकों के समक्ष रखे गए तो उन्होंने पंचागी(मूल नियुक्ति, चूर्णि, भाष्य, टीका) सहित आगम साहित्य को प्रमाण मानकर, उसके उद्धरण देकर अपना निर्णय लिया। आगम साहित्य और प्रकरण साहित्य के अतिरिक्त अन्य किसी का भी उद्धरण नहीं दिया है। यत्र-तत्र नैयायिक शैली का भी प्रयोग किया है। अङ्ग चूलिका, अनुयोगद्वार सूत्र-सटीक, आचारदिनकर, आचारांग सूत्र-टीका सहित, आवश्यक सूत्र नियुक्ति-बृहद्वृत्ति, आवश्यक सूत्र-नवकार मंत्र-लोगस्स-वैयावच्च-गराणं-पुक्खरवर्धी-सिद्धाणंलेख संग्रह 281
SR No.004446
Book TitleLekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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