________________ विरहानल मुझ देह दहीजइ रे, मनकी वात कहो क्या कीजइ रे॥ सुणउ मेरी बहिनी॥३॥ तोरण थी जउ फेरी चलीजइ रे, तउ किन कारण इहां आईजइ रे॥ सुणउ मेरी बहिनी॥४॥ जउ उनकी कब बात सुणिजइ रे, हार वधाइउ उसकुं दीजइ रे॥ सुणउ मेरी बहिनी॥५॥ सोवन जीहा तास घड़िजइ रे, जउ उन विय वात सुणीजइ रे॥ सुणउ मेरी बहिनी॥६॥ नेमि जिरंजन ध्यानकरी जइ रे, सिद्धिविजय सुख करतल लीजइ रे॥ सुणउ मेरी बहिनी॥७॥ इति श्री नेमिनाथ भास समाप्त [अनुसंधान अंक-४२] am 240 लेख संग्रह