________________ हाँसी आणंद धना-वि.... अनन्तहंस उवझाय पद ठवणइ॥ परिग युगति दाखी नव ए॥९॥ आगमइए जम्बूय वयरकुमार तेह जो मलि एह मुनिवरूए। गच्छपति श्री सुमतिसाधुसूरिन्द सीसरयण मंगलकरूं ए॥ 10 // जां सात सायर ससि दिवायर मेरु अविचल मन्दरो। जा धरइ धरणि बीय भुअबलि सेसफणवय मणिधरो॥ तां लगइ प्रतपउ इणि तपागच्छि पवर एह यती सरो। श्री संघ मंगल करण सहगुरु अनन्तहंस सुहंकरो॥ 11 // इति महोपाध्याय श्रीअनन्तहंसगणिपादानां स्वाध्यायः॥६॥ कतः कनकमाणिक्यगणिभिः॥ श्री स्तम्भतीर्थनगरे। // श्री॥ श्री॥ श्री॥ श्री॥श्री॥ श्री॥ श्री॥ श्री॥ [अनुसंधान अंक-४२] 40 लेख संग्रह 231