________________ कर्पूरग्रन्थमाला की ओर से शा. कुंवरजी आनंदजी भावनगर वालों की ओर से संवत् 1992 में प्रकाशित हुआ है। चिदानन्दजी प्रथम द्वारा निर्मित साहित्य के लिए देखें खरतरगच्छ साहित्य कोश। ___चारित्रनन्दी का बाल्यावस्था का नाम चुन्नीलाल होना चाहिए। काशी में इनका उपाश्रय ज्ञानभंडार भी था। जो चुन्नीजी के नाम से चुन्नीजी महाराज का उपाश्रय एवं भंडार कहलाता था। चारित्रनन्दी के पश्चात् परम्परा न चलने से उस चुन्नीजी के भण्डार को तपागच्छाचार्य श्रीविजयधर्मसूरिजी महाराज काशी वालों ने प्राप्त किया और उसे आगरा में विजयधर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर के नाम से स्थापित किया। प्रसिद्ध तपागच्छाचार्य श्री पद्मसागरसूरिजी महाराज ने प्रयत्नों से उस विजयधर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा की शास्त्रीय सम्पत्ति को भी प्राप्त कर लिया जो आज श्री कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा को सुशोभित कर रहा है। [अनुसंधान अंक-३८] लेख संग्रह 193