________________ विदूषकः उर्वशी: देवः उर्वशी: जं दट्ठण सुरूवं अज्ज अणंगो किमंगवं जाओ। इय चिरविम्हियहियया रई ठिया तं अहिलसंती॥ 16 // अह तत्थ रइदेवी एतेण सद्धिं अहिलासाणं सिद्धिसंपण्णा। अहवा दलिद्दकलत्तपयं इमाए अवलद्धं / तुब्भेहिं चेव रई पडिपुच्छणीया। रतिरलज्जत। आर्ये! पुनराख्याहि तच्चेष्टितम्। पमाणं सामी, सो जयउ रायपुत्तो जस्स पसाया बुहाणगेहम्मि। जं सिरिसरसइवेरं भग्गं खलु चेगवासम्मि // 18 // ईसरभत्ती हियए जस्स मुहे भारई करे तच्छी। सो लोआणंदयरो जयउ सया तत्थ जुवराया॥ 19 // आर्ये! अयमपि सत्यवानुग एव?। अह किं?। आर्ये! ब्रूहि, कस्तत्र प्रधानपुरुषो राज्यधुराधरणधौरेयः?। पसीयउ सामी!, मह सहीओ सूरसेणी-मागही-पिसाई-देवीओ भट्टिणो आलावपसायं संपेहिं। भवतु, उपसृत्य सूरसेनी - सामिआ, इमाए सहीए . सद्धिं विक्कमनयरं पासिदूणाहं हरिसुक्करिसमुवगदा। इत्थ णं आणंदरामनामेणं रण्णो पहाणपुरिसो दट्ठो। अम्महे भयवं दाव तस्स लावण्णं किं भणेमि? कीदृशोऽसौ?। देवः उर्वशी: देवः उर्वशीः देवः देवः (शूरसेनी-) अर्धमागधीः देवः मागधीः घडिदूण अज्जउत्तं एदं पुण अज्ज बंभदेवोवि। एदारिसं घडेदु होत्था नोय्येव य समत्थे // 20 // होज्जा कस्सवि जणओ जदि बंभो पुण सरस्सदी जणणी। तहवि हु न भोदि लोए वियक्खणो अस्स सारित्थो॥ 21 // हते! उवलम। हगेय्येव एदश्शलूवं पलूवयिश्शं। . शूरसेनी उपरमति। ब्रूहि मागधि! तच्चरितम्। खलु। शिलि शुयाणशिंघश्श शामदाणेहिं भेयडंडेहिं / पञ्चे शच्चपदिश्चे लज्जधुलंशे शुणिव्व हदे // 22 // तम्मि पुले शे लाया पुणो वि शे धम्मिए णिवकुमाले। शे तत्थ पहाणपुलिशे युत्तमिणं णिम्मिदं विहिणा // 23 // हले! उवलम्, त(तं) एतस्स फुत्थत्तनं न किय्यत्तो अहं य्येव चानामि। लेख संग्रह अथ पिशाची: - 178