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________________ हस्त लिखित प्रति ___ श्री लालभाई दलपतभाई, भारतीय संस्कृत विद्या मंदिर, अहमदाबाद मुनिश्री पुण्यविजयजी के संग्रह में ग्रंथांक 2888 पर सुरक्षित है। आकार - 2642411 से०मी० है। पत्र 2, पंक्ति 15, अक्षर 48 है। प्रति टिप्पण सहित शुद्धतम है। लेखनकाल नहीं दिया है किन्तु लिपि और कागज को देखते हुए १७वीं शताब्दी में रचना-काल के आस-पास ही लिखी गई है। [अनुसंधान अंक-२६] 000 1. शब्द प्रभेद टीका की पाठान्तरों एवं परिशिष्टों सहित मेरे द्वारा तैयार की गई प्रेस कॉपी मेरे पास 2. मुनि जिनविजयजी द्वारा सम्पादित होकर जैन साहित्य संशोधक समिति, अहमदाबाद से सन् 1928 में प्रकाशित मेरे द्वारा सम्पादित होकर विस्तृत भूमिका के साथ सुमति सदन, कोटा से सन् 1953 में प्रकाशित महावीर स्तोत्र संग्रह पुस्तक में जिनदत्तसूरि ज्ञान भण्डार सूरत से प्रकाशित मेरे द्वारा सम्पादित होकर राजस्थान राज्य विद्या प्रतिष्ठान सन् 1953, मेरे द्वारा प्रकाशित मेरे द्वारा सम्पादित होकर लालभाई दलपतभाई भारतीय विद्या संस्कृत मंदिर, अहमदाबाद से सन् 1974 में प्रकाशित लालभाई दलपतभाई भारतीय विद्या संस्कृत मंदिर, अहमदाबाद से सन् 1974 में प्रकाशित अमीसोम जैन ग्रंथ नाममाला, बम्बई द्वारा सन् 1940 में प्रकाशित 6,7,8, 12, 13, 14, 15, 16, 17 प्रेस कॉपी मेरे संग्रह में। 10. 11. लेख संग्रह 117
SR No.004446
Book TitleLekh Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2011
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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