________________ बृहद्वृत्ति - सारोद्धारकक्षपुट, पाणिनीय धातुपाठ, अव्ययवृत्ति व्याख्या, कालापक व्याकरण, सारस्वत व्याकरण, विष्णुवार्तिक; लक्षण ग्रन्थों में काव्यप्रकाश, रुद्रटालङ्कार टीका, वाग्भटालङ्कार, काव्यकल्पलता वृत्ति; काव्य ग्रन्थों में - नैषध काव्य, कुमार संभव काव्य, मेघदूत काव्य, खण्डप्रशस्ति, चम्पू कथा, नीतिशतक; कोष ग्रन्थों में - अमरकोष, अभिधान चिंतामणि नाममाला, धनञ्जय नाममाला; एकाक्षरी एवं अनेकार्थी कोषों में - अनेकार्थ संग्रह, विश्वशम्भु नाममाला, सुधाकलशीय एकाक्षरी नाममाला, अनेकार्थ तिलक, कालिदासीय एकाक्षरी नाममाला, वररुचिकृत एकाक्षर निघण्टु; ज्योतिष में रत्नकोष आदि अनेक ग्रन्थों के उदाहरण दिये हैं। ___इस ग्रन्थ के रचना प्रसंग के सम्बन्ध में कवि ने स्वयं लिखा है : - सं. 1649 श्रावण सुदि 13 पातिशाह अकबर ने काश्मीर विजय करने के उद्देश्य से प्रयाण किया। पहले दिन का डेरा राजा रामदास के बगीचे में डाला। उसी दिन संध्या के समय जहांगीर, सामन्त, मण्डलीक राजागण तथा व्याकरण एवं तर्कशास्त्र के विद्वानों की उपस्थिति में सम्राट अकबर ने युगप्रधान खरतरगच्छाचार्य जिनचन्द्रसूरि को जिनसिंहसूरि आदि प्रमुख शिष्यवृन्द के साथ बड़े सम्मान के साथ बुलाकर यह अष्टलक्षी ग्रन्थ मेरे (समयसुन्दर) से दत्तचित्त होकर सुना। यह ग्रन्थ सुनकर पातिशाह अकबर हर्ष से विभोर एवं गद्गद होकर इसकी अत्यन्त प्रशंसा करते हुए कहा कि - इस ग्रन्थ का पठन-पाठन सर्वत्र विस्तृत हो। ऐसा कहकर यह ग्रन्थ स्वयं के हाथ में लेकर मुझे प्रदान कर इस ग्रन्थ को प्रमाणीकृत किया। इस ग्रन्थ का रचना स्वरूप इस प्रकार है : प्रणाली - मंगलाचरण में सूर्य एवं ब्राह्मी देवता को नमस्कार किया है. 1,004 - राजा नो, राजा आनो, रा अज अ अ नः, रा अजा नो, राज आ नो राजाना उ. राजाव् नो राजाय नो, ऋ आजा नो इस प्रकार राजानो शब्द के अर्थ किये हैं। 875 - राजा के 'अ' को संबोधन बनाकर नो दद अनोदद आनोदद पद के 875 अर्थ किये हैं। .3,420 - 'दद' शब्द को संबोधन बनाकर 'ददादद' पद के 3420 अर्थ किये हैं। इस प्रकार 875 और 3420 अर्थ कुल 4295 अर्थ नोदद के होते हैं। - पश्चात् 'ते' शब्द को तृतीया, चतुर्थी, प्रथमा, पंचमी, पष्ठी विभक्त्यर्थ ग्रहण किया है। अर्थात् . .. 4295 अर्थों के 'ते' की प्रत्येक विभक्ति से पांच वार गुणित करने पर 21,475 अर्थ हो जाते हैं। 21,475 - साथ ही यह भी संकेत किया है कि राजन् शब्द के यक्षवाचक और सूर्यवाचक अर्थ भी किये जाए। 70 - पुनः प्रकारान्तर से 'दद' शब्द को दानदायक अर्थ में नज् समास पूर्वक 70 अर्थ किये हैं। 57 - पुनः केवल 'द' शब्द के 57 अर्थ किये हैं। इसके पश्चात् लेखक का कथन है कि दानदायक 'दद' पद के केवल न समास पूर्वक जो 70 अर्थ हैं, उस प्रत्येक एक अर्थ को 'द' शब्द के 57 अर्थों में प्रयुक्त करे। अर्थात् 70 को 57 से गुणित करने पर 3990 अर्थ होते हैं। इनके साथ शुद्ध दानदायक 'दद' के 70 अर्थ स्वतंत्र रूप से सम्मिलित करने पर कुल 4060 अर्थ होते हैं। 25,535 - इस प्रकार 'नोदद' 'अनोदद' 'आनोदद' तथा 'ददादद' के 21,475 अर्थों के साथ 'दद' 'द' के 4060 अर्थ मिलाने पर कुल 25,535 अर्थ हो जाते हैं। - लेख संग्रह 109 4,060