________________ चार शरण अरिहंत की शरण हो मुझे, सिद्ध शरण हो / मुनिराज की शरण हो मुझे, धर्म शरण हो / आतम की करूं शुद्धि, अरिहंत शरण से, ... हो शुद्ध मेरी बुद्धि, भगवंत वरण से, .. पावन धरूं ये पंथ, समकित-शुद्ध हो...१ हुए सिद्ध बुद्ध देव, शिवपुर-निवासी, हैं अजर अमर अकलंकी, और उदासी, ... करो - अमीदृष्टि, अविकारी. नयन हो...२ .. जिन-आज्ञा की भाल पे, धारण किए, हैं, मन वचन और काय से संयम लिए हैं, ... संयम शूर साधु-जीवन हमें भी हो...३ संसार दावानल में तो, जल भी रहे हम, संमोह के सागर में तो, डुब रहे हम, जिनकेवली कहे वो, सद्धर्म शरण हो...४ हम करते हैं स्वीकार, शुभ चार शरण को, . सूरि-रामचन्द्र गुण-कीर्ति, यशकर वचन को, कहे रत्नयश मुझको समाधि-मरण हो...५