________________ सिरिउसहनाहचरिए इसचिहकप्पतरुणो जुगलमणूसाणं सइ बंछिआई अट्ठाई दिति / जो उत्तउसरकुराए प्यतरवो -- मज्जंगप्पमुहा तस्थ, दसहा कप्पपायवा / मणुआणमजतेण, सइ अप्पिंति वंछिअं // 10 // तत्थ मज्जंगकप्परुक्खा सोहणं साउतरं मज्जं 1, भिंगतरवो भायणं 2, तुरिअंगा विविहलयजुत्ताई वज्जाई समप्पिति 3 / दीवसिहा जोइसिआ य अच्चन्भुझं उज्जो कुणंति 4-5 / चित्तंगा पुप्फाई मल्लाई च 6 / चित्तरसा भोज 7, मणिअंगा भूसणाई 8, गेहागारा घराई 9, अंगगिणकप्पतरुणो दियाई वत्थाई दिति 10 // अण्णे वि कप्पतरवो तत्थ मणवंछिअदायगा संति / सो धणजीवो कप्पतरू संपन्नसयलभोगो देवो इव पंचिदियविसयसुहाई झुंजतो सुहेण कालं विणेसी / तो सो धणजीवो निभं जुगलधम्माउसं पालित्ता पुठवजम्मदिण्णसुपत्तदाणाणुभावओं सोहम्मकप्पे सुरो होत्या / सोहम्मकप्पे उप्पाओ__बीओ जुगलिअभवो तइओ अ सुरभवो समत्तो // 2-3 // घउत्थो महाबलभवो अह सो धणजीवो सोहम्मकप्पाओ चविऊण पच्छिमविदेहेसु गंधिलावईए विजए वेभइढपन्चए गंधारनामनगवर गंयसमिद्धपुरे विज्जाहरपइणो सर्यबलस्स रण्णो चंदकताभज्जाए पुत्तत्तणेण समुप्पन्नो / सयबलस्स रण्णो पुत्तो महाबलो जाओ, बलेण नामेण यसो महाबलो संजाओ / रक्खगपुरिसेहिं रक्खिग्जमाणो मायपियरेहिं च लालिज्जमाणो कमेण सो वुडिंढ पत्तो। कलानिहिच सणिय सणियं समग्गकलासंपुण्णो जणाणं नयणाणंदयरो महामागो होत्था / स समयादिण्ण् समए मायपिऊणं आएसाभो मुत्तं विणयसिरिमिव विणयवई कन्नं परिणेसु / अह सो कामिणीजणकम्मणं रइलीलावणं जोवणं पत्तो। एगया सयपलो विज्जाहरवई निम्मलबुद्धी महासत्तिमंतो ततजाणगो इमं चिंतित्था उत्तमा अप्पचिंता सा, कामचिंता उ मज्झिमा / अहमा अस्थचिंता सा, परचिंता ऽहमाहमा // 11 // सयबलस्स वेरग्गं दुवालसदारेहिं मलसाविणी काया निम्मलाहार-पत्याहूसणेहिं वारंवार सकारिया वि खलुव्य 'विक्किअं पावेद न कंपि गुणमावहेइ। सरीराओ बाहिरनिग्गय-मल-मुत्त / 1 अनमकल्पतरवः / 2 विक्रियाम्