________________ बृहत्कल्पसूत्र-चूर्णि-पीठिकाविभागसत्क-गाथानां अनुक्रमणिका 225 लाउय दारुय मट्टिय लित्ते छाणिय छारी लिथारियाणि जाणि उ लिंगत्थेसु अकप्पं लिंगविहारेश्वढिओ लोइय वेइय सामा० 655 520 518 630 739 167 134 134 652 517 515 627 736 385 187 105 387 m و ده mmm م و 496 171 195 505 158 340 333 165 583 507 119 سه 499 171 196 509 158 342 335 165 586 511 118 20 298 449 293 392 764 130 395 150 133 31 WW. Mor N वच्चंतेण य दिटुं वच्छग गोणी खुज्जा वच्छणियोगे खीरं वच्छो भएण णासति वत्तीए अक्खेण व वम्मा य अवम्मा वि य वय इट्टगठवण णिभा वयणेणायरियादी वंसग कडणोक्कंचण वायम्मि वायमाणे . ' वाही असव्वछिण्णो विग्योवसमो सद्धा विच्चामेलण अण्णुण्ण विच्छिण्णे दूरमोगाढे विज्जाहररायगिहे वितधं ववहरमाणं विदु जाणए विणीए विब्भंगी उ परिणमं विरहम्मि दिसाभिग्गह विवरीयवेसधारी विसम पल्लोट्टणे आ० वुढे वि दोणमेहे वूढे पायच्छित्ते वोच्चत्थे चउलहुगा 20 296 118 79 106 193 33 107 444 291 390 761 125 393 32 12 31 447 452 340 715 93 338 712 181 656 653 359 98 357 सक्कतपागतवयणा सक्कपसंसा गुणगा० सक्यपाययभासा० सग्गाम परग्गामे 57 18 165 645 642