________________ 224 बृहत्कल्पचूर्णिः // [पीठिका 99 138 100 540 213 782 427 428 41 786 197 114 114 212 779 425 426 41 352 97 100 मइल दरसुद्ध सुद्धं मक्खित्ते ससिणिद्धे मच्छरता अविमुत्ती मज्जण णिसिज्ज अक्खा मणुयतिरिएसु लहुगा मणुयतिरियपुंसेसुं मतिविसयं मतिणाणं मद्दवकरणं णाणं मसगो व्व तुदं जच्चा मा णिण्हव इय दाउं मा णे हुज्ज अवण्णो मालवतेणा पडिया मिच्छत्त बडुग चारण मिच्छत्तम्मि अखीणे मिच्छत्ताओ अहवा मिच्छत्ताओ मीसे मिच्छत्ता संकंती मुक्कं तया अगहिते मुरियाण अप्पडिहया मुहकरणं मूलगुणा मूतं हुंकारं वा मूलगुणउत्तरगुणे मूलुत्तरचउभंगो मोत्तूणं गच्छणिग्गते मोत्तूण पढमबीए 363 356 564 547 783 350 361 . 354 561 544 117 113 32 112 33 114 100 360 293 126 125 127 362 295 671 211 772 590 698 300 170 668 195 151 210 769 587 695 298 176 82 140 125 542 474 रक्खण गहणे तु तहा रधपडण उत्तमंगा० रवितु त्ति ठितो मेहो रातिणिओ उस्सारे रूवे होउवलद्धी 545 478 338 623 81 93 336 160 24 80 लक्खणतो खलु सिद्धी लभ्रूण अण्णपाए लक्ष्ण अण्ण वत्थे 278 662 617 74 168 158 .. . 276 659 614