________________ 222 बृहत्कल्पचूर्णिः // [पीठिका 136 155 530 602 34 137 40 533 605 137 159 403 277 577 272 424 108 74 148 73 159 401 275 574 270 422 796 792 760 114 799 795 201 201 193 763 729 726 185 126 482 415 111 37 पढियसुयगुणियमगुणिय पढियसुयगुणियमगुणिय पणगं खलु पडिवाए पण्णत्ति जंबुदीवे पत्ते य अणुण्णाते पत्तो वि न णिक्खिप्पड़ पभु अणुपभुणो व निवे० परपक्खं दूसित्ता परपक्खे वि य दुविहं परिणमति जहत्थेणं परिणामअपरिणामे परिसाइ अपरिसाई पवयणवोच्छेए वट्ट० पवयणोवघाता अण्णे पव्वावण मुंडावण पंकसलिले पसाओ पंचमहव्वयभेदो पंचविधं पुण दव्वे पंचविधम्मि परूविए पंचविधे आयारे पंथम्मि य आलोए पाउं थोवं थोवं पागइयऽसोयवादी पागयकोडुंबिय दं० पाडलऽसोग कुणाले पाडिच्छगसेहाणं पातग्गहणम्मि उ दे० पासंडकारणा खळु पासुत्तसमं सुत्तं पीतीसुण्णण पिसुणो पुढवि दग अगणि हरियग पुढवीइ तरुगिरिया पुणरवि दव्वे तिविहं पुरिमेहिं जति वि हीणा पुरिसम्मि दुव्विणीए पुरिसावायं तिविहं पुव्वं पच्छा जेहिं 773 178 689 244 457 195 50 175 478 413 . 37 330 178 686 243 452 352 65.. 120 97 354 430 114 429 114 427 292 294 79 492 489 485 481 598 312 601 313 778 591 33 128 127 153 86 196 151 12 156 775 588 32 608 605 .207 198 208 785 425 389 114 .. 782 423 387 106