________________ 217 60 बृहत्कल्पसूत्र-चूर्णि-पीठिकाविभागसत्क-गाथानां अनुक्रमणिका जो जह कहेइ सुमिणं 224 जो जेण पगारेणं 265 जो जेण विणा अत्थो जो दव्वखेत्तकयका० 796 जो दव्वखेत्तकयका० 797 जो दव्वखेत्तकयका० 798 जो पुण जहत्थजुत्तो 21 223 263 21 793 794 795 201 201 201 15 173 .झाणट्ठया भायण झीमीभवंति उदया 683 116 680 123 30 194 डझंतं तिंबुरुदा० - डहरो अकलीणो त्तिय 767 775 764 772 97 27 681 517 574 373 173 134 148 102 96 678 514 571 371 11 ه ه ه ه ه णइ पह जर वत्थ जले णगराइ णिरुद्ध घरे ण तरिज्जा जति तिण्णि उ णत्थि कहालद्धी मे ण य कत्थइ णिम्मातो ण वि इंदियाइँ उवल० ण वि य हु होयऽणवत्था ण हि जो घडं वियाणइ णंतपएसाणं पि य णंदी चतुक्क दव्वे णंदी मंगलहेडं णंदी य मंगलट्ठा णाऊण किंचि अण्णस्स णाणं तु अक्खरं जेण णाणदंसणसंपण्णा णाणादी तिट्ठाणा णाणेण दंसणेण य णाभिप्पायं गेण्हसि णामं ठवणा दविए णामं ठवणा दविए णामं ठवणा दविए णामं ठवणा वत्थं سه 372 102 22 .107 74 398 701 400 804 370 72 396 698 398 801 177 108 203 5 151 653 606 166 155 151 650 603