________________ 207 63 184 111 112 125 136 166 177 151 236 724 411 415 471 531 649 699 585 704 703 513 804 733 737 331 430 178 178 134 204 186 187 92 435 बृहत्कल्पसूत्र-चूर्णि-पीठिकाविभागसत्क-गाथानां अनुक्रमणिका अप्पण्या य गोणी 237 अप्पत्ताण उदितेण 727 अप्पत्ते अकधेत्ता 413 अप्पत्ते अकहेत्ता 417 अप्पत्ते अकहेत्ता 475 अप्पत्ते अकहेत्ता 534 अप्पत्ते अकहेत्ता 652 अप्पुव्वस्स अगहणं 702 अप्फासुएण देसे 588 अबहुस्सुअस्स देइ व 707 अबहुस्सुए अगीय० 706 अभतट्ठीणं दाउं अभिकंखंतेण सुभा० 807 अभिगते पडिबद्ध 736 अभिगय थिर संविग्गे 740 अभिणवणगरणिवेसे अमणुण्णेतरगमणे अमुइच्चगं ण धारे अमुगं कालमणागए अमुगिच्चगं न भुंजे अलियमुवघायजणयं 280 अवि गोपयम्मि वि पिबे 351 अवितधकरणे सुद्धो 783 अविभागेहिं अणंतेहिं 73 'अव्वत्तमक्खरं पुण 76 अव्वत्ते अ अपत्ते 791 अव्वोच्छित्तिनयट्ठा 135 असरीरतेणभंगे 579 असिवाइकारणेहिँ 634 अहवा वि विभूसाए 493 अहीणक्खरं अणहिय० 290 अंगाणंगपविटुं 89 अंगुट्ठपएसिणि मज्झि० 514 अंतिमकोडाकोडी अंतो बहिं च गुरुगा 792 अंतो बर्हि संजोअण 768 अंबत्तणेण जीहाइ 349 115 168 657 660 633 615 162 630 612 278 158 75 97 197 349 780 22 75 23 199 34 149 162 128 78 788 135 576 631 490 288 26 / 133 94 27 199 194 789 765 347 96