________________ 206 बृहत्कल्पचूर्णिः // [पीठिका 682 173 209 58 53 189 187 580 52 149 679 208 189 187 577 126 512 353 439 133 131 515 355 444 600 98 117 153 17 193 54 331 अणुण्णाए वि सव्वम्मी अणुपुव्वी परिवाडी अणु बादरे य उंडिय अणुयोगो य णियोगो अण्णकुलगोत्तकहणं अण्णाण मती मिच्छे अण्णोण्णे अंकम्मि अण्णो दुज्झिहि कलं अतिरेगगहणमुग्गा अत्तट्टकडं दाउं अत्तागमप्पमाणेण अत्ताभिप्पायकया अत्थं भासति अरहा अत्थवसा हवति पदं अत्थस्स उग्गहम्मि वि अत्थस्स कप्पितो खलु अत्थस्स दरिसणम्मि वि अत्थस्स वि उवलंभे अत्याभिवंजगं वं० अत्थाणंतरचार अत्तित्ते संबद्धा अस्थि मे घरे वि वत्था अत्थेसु दोसु तीसु व अद्दारगं अनगरं अधभावेण पसरिया अधवा अणिच्छमाण अधवा आयारादिसु अधवा मुच्छित मत्ते अधिगरण मारणाऽणी० अधिगो जोगो निओगो अपमज्जणा अपडि० अपरायत्तं णाणं अपुव्वमतिहिकरणे अपुव्वेण तिपुंजं अप्पक्खरमसंदिद्धं अप्पग्गंथ महत्थं अप्पच्चओ अकित्ती orrow. orwmww, 4. 163 639 288 259 78 101 239 168 83 142 555 195 459 636 286 257 100 238 168 82 552 194 454 29 568 108 285 277 785 121 12 147 29 572 109 287 77 279 75 788