SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 226
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बृहत्कल्पसूत्र-चूर्णि-पीठिकाविभागसत्क-गाथानां अनुक्रमणिका // (तैयार करनार: मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय) (नोंध : प्रथम गाथा- आदि-चरण आपवामां आव्युं छे. पछी चूर्णिपुस्तकगत-गाथा-क्रमाङ्क छे; त्यारबाद प्रस्तुत पुस्तकनो पृष्ठाङ्क छे; छेल्ले बृ.क. वृत्तिना मुद्रित पीठिका (प्रथम) विभागमा स्वीकारवामां आवेल गाथाक्रमाङ्क आपेल छे. जे गाथा बे पैकी जेमां न होय ते स्थले - आम लीटी करेल छे.) गाथा चूर्णिक्रमाङ्कः वृत्तिक्रमाङ्कः 665 662 12 292 290 42 42 330 225 31 3 अकयमुहे दुप्पस्सा अक्खरतिगरूवणया अक्खरपयाइएहिं अक्खरसण्णीसम्म अक्खेवो सुत्तदोसा अग्गी बाल गिलाणे अच्चंतमणुवलद्धा अच्चंता सामण्णा अच्चित्तेण अचित्तं अच्चित्तेणं मीसं अच्चित्तेण सचित्तं अजहण्णमणुक्कोसो अज्जक्कालिय लेवं अज्जस्स हीलणा ल० अज्जुयलिया अतुरिया अट्टगहेउं लेवा अणभिगतमाइआणं अणवटुंते तह वि उ अणावातमसंलोए अणावायमसंलोए अणिउत्तो अणिउत्ता अणुओगम्मि य पुच्छा अणुणा जोगो अणुयोगो 420 472 473 680 113 124 124 173 125 184 117 476 33 46 418 468 469 677 472 725 441 520 739 524 419 443 234 250 190 728 446 523 742 527 421 134 187 به س ه 448 235 ه م 251 190 سه
SR No.004440
Book TitleBruhatkalp Sutram Pithika Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheelchandrasuri, Rupendrakumar Pagariya
PublisherPrakrit Granth Parishad
Publication Year2008
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy