________________ भाष्यगाथा-३६२-३७०] 101 एमेव गोणि भेरी, हंसे मेसे य जाहग जलूगा / चउलहुगमदाणम्मी, पावति एतेसु आयरितो // 365 // "सेलकुड०" गाधा / मुग्ग-सेल-च्छिड्डुकुडग-चालणिसमाणाणं गुणणाकज्जे देतो सुद्धो भवति / किंणिमित्तं ? तत्थ णत्थि सुत्तत्थहाणी / अण्णेसिं वा सिस्साणं परिहाणी, अकज्जे एतेसु चेव चतुलहुं / 'घडदुइए'त्ति पसत्थवम्मेसु अपसत्थअवम्मेसु य / बितिओ खंडे य भिण्णे य, एतेसु चउसु वि चउगुरु चउगुरु / परिपूणए महिसे मसए विरालीए आभीरीए गोणीए भेरीए, एएसु सव्वेसु चउगुरुं / जे एतेसिं पडिपक्खा चोक्खा हंसादिणो य, तेसिं जो ण देति आयरिओ, तस्स चउगुरु // अधवा इमा तिविधा परिसा जाणंतिया अजाणंतिया य तध दवियडिया चेव / तिविधा य होति परिसा, तीसे णाणत्तगं वोच्छं // 366 // "जाणंतिया०" गाधा / इमागुण-दोसविसेसण्णू, अणभिग्गहिया य कुस्सुतिमतेसु / सा खलु जाणगपस्सिा, गुणतत्तिल्ला अगुणवज्जा // 367 // "गुण-दोस०" गाधा / कंठा / जे वि णाम दोसा भवंति ते वि छडेति / कहं ? खीरमिव रायहंसा, जे घोट्टंति उगुणे गुणसमिद्धा / दोसे वि य छडुंती, ते वसभा धीरपुरिस त्ति // 368 // "खीरमिव०" गाधा / कंठा / 'वसभ'त्ति, जे णिसीधेण गीतत्था इमस्स अज्झयणस्स जोग्गा इति यावदुक्तं भवति / इयाणि 'अजाणिया' जे होंति पगतिमुद्धा, मिगछावग-सीह-कुक्कुरगभूता / रयणमिव असंठविता, सुहसण्णप्पा गुणसमिद्धा // 369 // "जे होंति पगति०" गाधा / जधा-मिगछावया सीह-कुक्कुरगा वा अरण्णातो आणेउं जति रुच्चति भद्दया कीरंति / २अहवा कूरा कीरंति / एवं चेव जे पगतिमुद्धा अभाविता परतित्थिएहिं जधा भण्णंति तधा कीरति / जध वा रयणं असंठवियं जारिसो अभिप्पाओ तारिसं घडेउं कीरति, तस्यैव विभाषा / जे खलु अभाविता कुस्सुतीहिँ न य ससमए गहियसारा / अकिलेसकरा सा खलु, वयरं छक्कोडिसुद्धं वा // 370 // 1. ०त्थधम्मेसु अपसत्थवम्मे० पू० 2 / 2. अध रुच्चति तो कूरा० पू० 1-2, पा० /