________________ 256 // 1 - 9 - 1 - 97 (281) श्री राजेन्द्र यतीन्द्र जैनागम हिन्दी प्रकाशन IV टीका-अनुवाद : आकुट्टि याने हिंसा और अनाकुट्टि याने अहिंसा... क्योंकि- यह अहिंसा का आचरण जगत के जीवों को पीडा नहि देता, अतः यह अहिंसा निर्दोष है, इसलिये श्रमण भगवान् महावीरस्वामीजीने इस अहिंसा का स्वयं आदर के साथ आश्रय लेकर अन्य जीवों को भी कहा है, कि- हिंसा का त्याग कर के अहिंसा का हि आश्रय लीजीये... परमात्मा ने स्त्रीजनों को ज्ञ परिज्ञा से जाना एवं प्रत्याख्यान परिज्ञा से उन के संपर्क स्वरूप संबंध का त्याग कीया है... क्योंकि- पुरूष के लिये स्त्रीजनों का दर्शन एवं स्पर्शन तथा सहवास मोह का हेतु होता है... यह मोह अज्ञान एवं अविवेक स्वरूप होने से सर्व प्रकार के पाप-कर्मो के उपादान का कारण है इत्यादि प्रकार से यथावस्थित संसार के स्वभाव को जाननेवाले परमात्मा स्त्रीजनों के वास्तविक स्वरूप के ज्ञाता है, एवं उन के संसर्ग का / त्यागी है... अतः एव परमात्मा परमार्थदर्शी है... V सूत्रसार : संयम साधना का मूल अहिंसा है। हिंसक व्यक्ति साधना में प्रवृत्त नहीं हो सकता है। क्योंकि- उसके मन में प्राणियों के प्रति दया भाव नहीं रहता है। अतः भगवान महावीर ने स्वयं अहिंसा व्रत का पालन किया। उन्होंने साधना काल में न किसी प्राणी की हिंसा की और अन्य किसी व्यक्ति को हिंसा करने की प्रेरणा भी न दी। उनके हृदय में प्रत्येक प्राणी के प्रति दया करूणा का स्त्रोत बहता था। उन्होंने सभी जीवों को अभयदान दिया। साधक के लिए हिंसा की तरह मैथुन भी त्याज्य है। इससे मोह की अभिवृद्धि होती है और मोह से पाप कर्म का बन्ध होता है। इसलिए भगवान ने मैथुन के हेतुभूत स्त्री संसर्ग का सर्वथा त्याग कर दिया। साधु के लिए स्त्री का एवं साध्वी के लिए पुरूष-संसर्ग का त्याग होना जरूरी है। क्योंकि- दोनों के लिए दोनों मोह को जगाने का कारण हैं और मोह केउदय से महाव्रतों का नाश होता है। अत: भगवान ने अब्रह्म का सर्वथा त्याग करके ब्रह्मचर्य व्रत को स्वीकार किया। ___ संयम साधना में प्रथम और चतुर्थ दो महाव्रत मुख्य है। दोनो में अन्य तीनों महाव्रतों का समावेश हो जाता है। पूर्ण अहिंसक एवं पूर्ण ब्रह्मचारी साधक को झुठ बोल ने की आवश्यकता नहि है एवं चोरी और परिग्रह की आकांक्षा भी नही रहती... अत: दो महाव्रतों में पांचों महाव्रतों का समावेश हो जाता है। ___मूल गुणों की व्याख्या करके अब सूत्रकार महर्षि आगे के सूत्र से उत्तर गुणों का उल्लेख करते हैं...