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________________ श्री राजेन्द्र सुबोधनी आहोरी - हिन्दी - टीका 1-2-6-8 (105) 189 II संस्कृत-छाया : - यद् दुखं प्रवेदितं इह मानवानाम्, तस्य दुःखस्य कुशलाः परिज्ञां उदाहरन्ति / इह कर्म परिज्ञाय सर्वशः, यः अनन्यदृष्टिः सः अनन्यारामः, यः अनन्यारामः सः अनन्यदृष्टिः। यथा पुण्यस्य (पुण्यवते) कथ्यते, तथा तुच्छस्य कथ्यते, यथा तुच्छस्य (तुच्छाय) कथ्यते तथा पुण्यवत: (पुण्यवते) कथ्यते // 105 // III सूत्रार्थ : इस संसार में मनुष्यों के जो जो दुःख कहें हैं, उन दुःखों का कुशल मुनी परिज्ञा करतें हैं... यहां सभी प्रकार से कर्मो की परिज्ञा करके... जो अनन्यदृष्टिवाला है वह अनन्याराम है, जो अनन्याराम है वह अनन्यदृष्टिवाला है... तथा जिस प्रकार साधु पुन्यवान को धर्मकथा कहे, उसी हि प्रकार तुच्छ-निर्धन को भी कहें... एवं जिस प्रकार निर्धन को धर्मकथा कहे उसी हि प्रकार पुन्यवानों को कहें... // 105 // IV टीका-अनुवाद : इस संसार में तीर्थंकरों ने दुःखों का कारण कर्म या अज्ञ-लोगों का संयोग है ऐसा धर्मोपदेश में कहा है, उस असाता स्वरूप दुःख या कर्म की कुशल पुरुष परिज्ञा करतें हैं... कुशल वे हैं कि- जो 1. निपुण याने चतुर हैं 2. धर्मकथा की लब्धि से संपन्न है स्वशास्त्र एवं परशस्त्रों को जानते हैं विहार याने धर्मानुष्ठान में उपयोगवाले हैं जैसा कहते हैं वैसे हि आचरणवाले हैं 6. निद्रा याने प्रमाद को जितनेवाले हैं 7. इंद्रिय याने इंद्रियों के विकारों को जितनेवाले हैं 8. देश एवं काल आदि के क्रम को जानते हैं... ऐसे स्वरूपवाले कुशल-पुरुष हि परिज्ञा करते हैं... परिज्ञा याने ज्ञ-परिज्ञा से उपादान के कारणों को जानते हैं, तथा प्रत्याख्यान परिज्ञा से निमित्त-कारणों का विच्छेद करतें हैं अर्थात् कुशलमुनी दोनों प्रकार की परिज्ञा से दुःखों का परिहार करते हैं... वह दुःख कर्म स्वरूप है, और उस कर्म के आठ प्रकार हैं अत: उन कर्मों को और उन कर्मों के आश्रव द्वारों को जानकर... वह इस प्रकार- “ज्ञानावरणीय कर्म ज्ञानगुण का प्रत्यनीक याने दुश्मन है" इत्यादि... ऐसा जानकर और प्रत्याख्यान परिज्ञा से कर्मों के आश्रव
SR No.004436
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay, Rameshchandra L Haria
PublisherRajendra Yatindra Jainagam Hindi Prakashan
Publication Year
Total Pages528
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size12 MB
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