________________ प्रबन्ध की सम्पूर्णता के लिए भीनमाल सकल श्री संघ, थराद सकल श्री संघ, हैदराबाद सकल श्री संघ एवं राजमहेन्द्री सकल श्री संघ के द्वारा उदारता पूर्वक जो सहयोग एवं अध्ययन हेतु अनुकूलताएँ प्रदान की गई, उसे ज्ञापित करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है, मैं हृदय से इन सभी संघों की आभारी हूं। इस शोध-प्रबन्ध को शास्त्र सम्मत, तत्त्व-सम्मत एवं सप्रमाण निर्मित करने में मुझे श्री धनचंद्र सूरि ज्ञान भण्डार थराद, श्री भूपेन्द्रसूरि ज्ञान भण्डार-आहोर, श्री विद्याचन्द्रसूरि ज्ञान भण्डार-भीनमाल, श्री हेमचन्द्रसूरि ज्ञान भण्डार-पाटण, श्री कैलाससागरसूरि ज्ञान भण्डार-कोबा, विश्व संस्थान भारती-लाडनूं आदि से समय-समय पर सन्दर्भ ग्रन्थ उपलब्ध होते रहे। मैं इन सभी संस्थाओं के व्यवस्थापकों एवं कार्यकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। इस शोध प्रबन्ध में श्री घेवरचंदजी सेठ, श्री कोलचंदजी मुथा, श्री प्रवीणभाई भंसाली, श्री नवीनभाई देसाई, श्री गणपतराजजी भंडारी, श्री सुजीतभाई सोलंकी, श्री छगनराजजी, श्री भरतभाई, अमृतभाई, प्रकाशभाई, विनोदभाई, आनंदभाई, कान्तीलालजी, श्री महावीरभाई, डॉ. श्रीमती कोकिलाजी भारतीय आदि सभी महानुभावों ने प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से मेरे शोध कार्य में सहयोग प्रदान किया। वे सभी धन्यवाद के पात्र है। __डॉ. श्री अरुणजी दवे के द्वारा शोध-प्रबन्ध में दिया गया सहयोग अविस्मरणीय है। प्रस्तुत ग्रंथ को जन-जन तक पहुँचाने में अपने धन का सदुपयोग कर पुण्यानुबंधी पुण्य का उपार्जन किया है भीनमाल निवासी स्व. शाटीलचंदजी धर्मपत्नी स्व. श्री सुंदरबाई के सुपुत्रो शा किशोरमलजी, पृथ्वीराजजी, मूलचंद, मुकेश, अश्विन, पंकज, अमित, दीपक, दीक्षित बेटा पोता शा टीलचंदजी गेलाजी कावेडी मेहता परिवार / ह्रींकार प्रिंटर्स-विजयवाडा के श्री हेमलभाई ने कम्प्यूटर कृत टंकन के द्वारा इस शोध-प्रबन्ध को साकार रूप दिया / अतः में उनकी हृदय से आभारी हूं। इस शोध-प्रबन्ध को प्रमाणिकता पूर्वक करने का सम्पूर्ण पुरुषार्थ मैंने किया है फिर भी अनजाने में कुछ शास्त्र-विरुद्ध हो अथवा प्रूफ संशोधन की त्रुटि हो तो.... मिच्छामि दुक्कडम्। - सा. अनेकान्तलता... 27 VIIIIIIIII