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________________ मसूर की दाल के समान, अपकाय के जीवों के शरीर का आकार पानी के बिन्दु के समान, तेउकाय के जीवों के शरीर का आकार सूचिकलाप के समान, वाउकाय के जीवों के शरीर का आकार पताका के समान तथा वनस्पतिकाय के जीवों का आकार निश्चित नहीं होता है। अतएव उसको अनित्थंभूत कहते है। बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय जीवों के शरीर का आकार हुंडक होता है। पंचेन्द्रिय जीवों के शरीर का आकार संस्थान नामकर्म के उदय से छह प्रकार का होता है। समचतुरस्र, न्यग्रोधपरिमण्डल, सादि, कुब्ज, वामन, हुंडक। इसका पाठ तत्त्वार्थसार में इस प्रकार मिलता है। मसूराम्बुपृषत् सूचीकलापध्वजसंनिभा, धराप्तेजो मरुत्कायाः नानाकारास्तरुपत्रसाः।२८९ दंडक में - नाणाविह धय सूई बुब्बुय वण वाउ तेउ अप्काया पुढवी मसूर चंदा-कारा संठाणओ भणिया थावरसुर नेरइआ अस्संघयणा य विगल छेवट्ठा संघयण छग्गं गब्भय-नर तिरिएसु वि मुणेयव्वं / 290 अनात्म परिग्रह आकार भी अनेक प्रकार का है - गोल, त्रिकोण, चतुष्कोण आदि तथा सामान्यतया पुद्गल के अनेक आकार होते है। (6) भेद - परस्पर संयुक्त बने हुए पदार्थों का पृथक्-पृथक् हो जाने को भेद कहा जाता है / यह पाँच प्रकार का है - (1) औत्कारिक (2) चौर्णिक (3) खण्ड (4) प्रतर (5) अणुचटन।। (1) औत्कारिक - लकडी आदि के चीरने या किसी के आघात से जो भेद होता है उसको औत्कारिक कहते है। (2) चौर्णिक - गेहूं आदि के दलने या पीसने जो भेद होता है उसको चौर्णिक कहते है। (3) खण्ड - मिट्टी आदि को फोडकर जो भेद किया जाता है उसे खण्ड कहते है। (4) प्रतर - मेघपटली की तरह बिखरकर भेद हो जाने को प्रतर कहते है। (5) अणुचटन - ईक्षु आदि फल के उपर से छिलका उतार कर भेद करते,है। उसको अणुचटन कहते है। (7) अन्धकार - प्रकाश के विरोधी और दृष्टि का प्रतिबन्ध करनेवाले पुद्गल परिणाम को तम अन्धकार कहते है। (8) छाया - किसी भी वस्तु में अन्य वस्तु की आकृति प्रतिबिम्बित होती है। उसे छाया कहते है। दो भेद है - प्रकाश के आवरणरूप और प्रतिबिम्बरूप। (9) आतप - जिसकी प्रभा उष्ण हो उसको आतप कहते है। (10) उद्योत - जिसकी प्रभा ठंडी, आल्हादक हो उसको उद्योत कहते है।२९१ तम, छाया, आतप और उद्योत पुद्गल द्रव्य के परिणमन विशेष के द्वारा निष्पन्न हुआ करते | आचार्य हरिभद्रसूरि का व्यक्तित्व एवं कृतित्व VIIIIIIIIIII द्वितीय अध्याय 140)
SR No.004434
Book TitleHaribhadrasuri ke Darshanik Chintan ka Vaishishtya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekantlatashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trsut
Publication Year2008
Total Pages552
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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