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________________ 17. 18. थूले तसकायवहे थूले मोसे अदत्तथूले य / परिहारो परमहिला परिग्गहारंभ परिमाणं / / दिसविदिसमाणपढमं अणत्थदण्डस्स वजणं विदियं / भोगोपभोगपरिमाण इयमेव गुणव्वया तिण्णि // सामाइयं च पढमं बिदियं च तहेव पोसहं भणियं। . तीइयं च अतिहिपुजं चउत्थ सल्लेहणा अंते // - चरित्तपाहुड 22-26 . ज्ञातव्य है कि जटासिंह नन्दी ने भी वरांगचरित सर्ग 22 में विमलसूरि का अनुसरण किया है। देखिए जैन, बौद्ध तथा गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन (लेखक- डॉ. सागरमल जैन) भाग-२, पृ.सं. 274 पउमचरियं, 102/145 19. पउमचरियं इण्ट्रोडक्सन, पृष्ठ 19, पद्मपुराण, भूमिका (पं.पन्नालाल), पृ.३० . जो इमाओ (दिसाओ) अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ अणुदिसाओ, ओऽहं / आचारांग 1/1/1/1, शीलांकटीका, पृ.१९। (ज्ञातव्य है कि मूल पउमचरियं में केवल अनुदिसाइं शब्द है जो कि आचारांग में उसी रूप में है। उससे नौ अनुदिशाओं की कल्पना दिखाकर उसे श्वेताम्बर आगमों में अनुपस्थित कहना उचित नहीं है।) देखिए पउमचरियं 3/135-36 पउमचरियं, 83/5 23. मुक्कं वासोजुयलं........ - चउपन्नमहापुरिसचरियं, पृ. 273 एगं देवदूसमादाय ....... पव्वइए। -कल्पसूत्र 114 पउमचरियं भाग-१ (इण्ट्रोडक्सन पेज 19, फुटनोट 5) 'जिणवरमुहाओ अत्थो सो गणहेरहि धरिउं'। - आवश्यक नियुक्ति 1/10 देखें..... पद्मपुराण (आचार्य रविष्ण), प्रकाशक भारतीय ज्ञानपीठ काशी, सम्पादकीय, पृ.७ 21. 22. ( 78)
SR No.004428
Book TitlePrakrit evam Sanskrit Jain Granth Bhumikao ke Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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