________________ ग्रंथ इसके परवर्ती ही हैं। यहां यह ज्ञातव्य है कि प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, कन्नड़ एवं हिन्दी में जैनों का रामकथा सम्बंधी साहित्य विपुल मात्रा में है, जिसकी चर्चा हम आगे विस्तार से करेंगे। बौद्ध परम्परा में रामकथा मुख्यतः जातक कथाओं में वर्णित है। जातक कथाएं मुख्यतः बोधिसत्व के रूप में बुद्ध के पूर्वभवो की चर्चा करती है। इन्हीं में दशरथ जातक में रामकथा का उल्लेख है। बौद्ध परम्परा में रामकथा सम्बंधी कौन-कौन से प्रमुख ग्रंथ लिखे गए, इसकी जानकारी का अभाव ही है। रामकथा सम्बंधी जैन साहित्य जैन साहित्यकारों ने विपुल मात्रा में रामकथा सम्बंधी ग्रंथों की रचना की है, इनमें दिगम्बर लेखकों की अपेक्षा श्वेताम्बर लेखक और उनके ग्रंथ अधिक रहे हैं। जैनों में रामकथा सम्बंधी प्रमुख ग्रंथ कौन से रहे हैं, इसकी सूचि निम्नानुसार हैक्र.ग्रंथ . लेखक लेखक भाषा काल 1 पउमचरियं आ.विमलसूरि (श्वे.) . प्राकृत वी.नि. 530 / 2 वसुदेवहिण्डी श्री संघदासगणि (श्वे.) प्राकृत ईस्वी सन् 609 3 पद्मपुराण श्री रविषेण (दि.) संस्कृत ईस्वी सन् 678 4 पउमचरिउ श्री स्वयम्भू (दि.) अपभ्रंश प्रायः ई.सन् ८वीं शती (मध्य) 5 चउपन्न महापुरसचरियं आ.शीलांक (श्वे.) . प्राकृत ई. सन् 868 6 उत्तरपुराण श्री गुणभद्र (दि.) संस्कृत ई.सन् प्रायः ९वीं शती 7 बृहत्कथाकोष श्री हरिषेण (दि.) संस्कृत ई.सन् 631 8 महापुराण 9 कहावली श्री पुष्पदंत (दि.) आ.भद्रेश्वर (श्वे.) अपभ्रंश ई.सन् 965 प्राकृत प्रायः ईस्वी सन् 10 त्रिषष्टीशलाकापुरुषचरित आ.हेमचंद्र (श्वे.) ११वीं शती संस्कृत प्रायः ईस्वी सन्१२वीं शती