________________ दोनों जीवसमासों में बहुत कुछ समानता रखती हैं। 3. प्राकृत वृत्तिवाले जीवसमास की अनेक गाथाएं उक्त जीवसमास में ज्योंकी-त्यों पाई जाती है। * उक्त समता के होते हुए भी पंचसंग्रहकार ने उक्त जीवसमास-प्रकरण की अनेक गाथाएं जहां संकलित की हैं, वहां अनेक गाथाएं उन पर भाष्यरूप से रची है और अनेक गाथाओं का आगम के आधार पर स्वयं भी स्वतंत्र रूप से निर्वाण किया है। (पृ.३७), फि र भी यह सत्य है कि दोनों जीवसमासों में कुछ गाथाएं समान हैं। अनुवादिका साध्वी श्री विद्युत्प्रभा श्री जी के सहयोग से जो कुछ समान गाथाएं हमें प्राप्त हो सकीं वे नीचे दी जा रही हैं जीवसमास-पंचसंग्रह : तुलनात्मक अध्ययन (1) मार्गणा जीवसमास गइ इन्दिय काए जोए वेए कसाय नाणे य। संजम दंसण लेस्सा भव सम्मे सन्नि आहारे // 6 // पंचसंग्रह - . . गइ इन्दियं च काए,जोए वेए कसाय णाणे य / . संजम दंसण लेस्सा भविया सम्मत सण्णि आहारे // 57 // (2) जीव के भेद जीवसमास - एगिदिया य बायरसुहमा पजतया अपज्जता। बियतिय चउरिंदिय दुविह भेय पज्जत इयरे य // 23 // पंचिन्दिया असण्णी सण्णी पज्जत्तया अपजत्ता / पंचिदिएसु चोद्दस मिच्छदिट्ठि भवे सेसा // 24 // पंचसंग्रह - बायरसुहुमेगिंदिय बि-ति-चउरिदिय असण्णी-सण्णीय। पजत्तापजत्ता एवं चौद्दसा होंति // 34 //