________________ सन्दर्भ-सूची 1. “तत्व, परमार्थ, द्रव्यस्वभाव, पर, अपर, शुद्ध, परम ये सभी शब्द एकार्थक है" -श्री मधुकर मुनि 'जैन तत्वदर्शन' पृ. 3. 2. तत्वार्थ सूत्र 5.29 3. वही, 5.30 4. गुणाणमासिओ दव्वं एकदव्वस्सिया गुणा लक्खणं पज्जवाणं तु उभओ अस्सिया भवे // . . -उत्तराध्ययन 286 5. भगवती 1.3 6. गीता 7. “न सर्वथा नित्यमुदेत्यपैति न च क्रियाकारकमत्र युक्तम्। नैवासतां जन्म सतो न नाशो दीपस्तम: पुद्गल भावतोऽस्ति” : -समंतभद्ररचित 'स्वयंभू स्तोत्र' 8. जैन तत्वप्रकाश पृ. 5.45 ___ M. Hiriyanna "Outlines of Indian Philosophy" (Hindi Translation) P. 161 10. (अ) भागवत पुराण 3.10.13 (ब) डॉ. रमेशकुमार उपाध्याय "वैष्णव पुराणों में सृष्टिवर्णन” प. बलदेव उपाध्याय द्वारा लिखित भूमिका से, पृ. 15 11. तत्कारणदशापन्नमव्यक्तमिति कथ्यते . व्यक्तं कार्यदशापन्नं शरीरादिघटादिवत् / / -शिव पुराण 7.1.5.39 12. उत्तराध्ययन 28.7, 8 13. “गतिस्थित्युपग्रहौ धर्माधर्मयोरुपकारः" -तत्वार्थसूत्र 5.17 14. डॉ. हरीन्द्रभूषण जैन “जैन अंगशास्त्र के अनुसार मानव व्यक्तित्व का विकास" पृ. 95-96 15. द्रव्यसंग्रह-१७ 16. (अ) डॉ. नन्दकिशोर देवराज “भारतीय दर्शन” पृ. 378 (ब) “सत्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः” शिव पुराण 7.1.5.32 17. “आकाशस्यावगाहः” तत्वार्थसूत्र 5.18 18. (अ) डॉ. रमेशकुमार उपाध्याय “वैष्णव पुराणों में सृष्टिवर्णन” पृ. 105 (ब) “अनन्तमेतदाकाशं...पश्यत:" -नारदीय पुराण 1.42.25-26 अ 19. तत्वार्थसूत्र 5.22 20. सं. मोहनलाल शास्त्री "मोक्षशास्त्र सटीक” पृ. 95 . द्रव्य - विचार / 64