________________ P&. "Long before the Aryans reached the Ganges or even Saraswati, Jains has been taught by some 22 prominent Bodhas, Sants or Tirthankaras, prior to the historical 23rd Bodha Parsva of the 8th or 9th Century B.C. ........ It is impossible to find the beginning of Jainism.". - Major General J.G.R. Furlong, F.R.A.S. "Short Studies in the Sceince of Comparative Religion.," P. 243-244 17. जयचन्द्र विद्यालंकार “भारतीय इतिहास की रूपरेखा” पृ. 347 18. “वात्या भवन्त्यार्य विगर्हिताः” - मनुस्मृति 1.5.8. 19. अथर्ववेद 15.1.1.1 सायणभाष्य 20. कंचिद् विद्वत्तमं महाधिकारं पुण्यशील विश्वसमान्यं ब्राह्मणविशिष्टं वात्यमनुलक्ष्य वचनमिति मंतव्यम् / .. -अथर्ववेद 15.1.1.1 . 21. डॉ. बलदेव उपाध्याय “वैदिक साहित्य और संस्कृति,” पृ. 229 / 12. (अ) "Vratya is initated in Vratas. Hence Vratyas means a person who has voluntarily accepted the moral code of vows for his own spiritual discpline." -Dr. Heber (ब) पी.सी. जैन “हरिवंश पुराण का सांस्कृतिक अध्ययन,” पृ. 53 23. वही, पृ. 53 24. रामधारीसिंह दिनकर “संस्कृति के चार अध्याय" पृ. 125 25. अथर्ववेद 15.1.2.15-16 26. मैक्डोनल और कीथ “वैदिक इंडैक्स" 343 –दूसरी जिल्द 1958 27. डॉ. दामोदर शास्त्री “भारतीय सांस्कृतिक क्षितिज' में जैन संस्कृति और उसका साधना मार्ग" जयगुञ्जार (मार्च 1986) पृ. 5 . 28. "They are called Vratyas or unbrahmanical Kshatriyas; they had a republican form of Government, they had their own shrines, their non-vedic worship; their own religious leaders; they patronised Jainism." .. -Kashiprasad Jayasawal "Modern Review" P. 499, 1729 29. ऋग्वेद 10.135.2 30. तैत्तिरीयारण्यक 2.7 31. बृहदा. 4.3.22 32. अथर्ववेद 2.53 33. बेचरदास दोशी “जैन साहित्य का बृहद् इतिहास” पृ. 20 (प्रस्तावना) (अंग आगम) 34. ऋग्वेद 3.34.2 10.166.1 35. अथर्ववेद 9.4.3 एवं "अहोमुच वृषभं यज्ञियानां विराजन्तं प्रथममध्वराणाम् / जैन धर्म का इतिहास / 32