________________ 40. दसविन -भागवत, 7.12.12 () विष्णुपुराण (1) पृ. 440, 3.13. 43-44 (भाषा) (स) मार्कण्डेय पुराण 38.5-10 (एषणा) 39. गरुडपुराण (2) 122.4-9 दसविहे समणधम्मे पण्णते, तं जहा___खंती, मुत्ती, अज्जवे, मद्दवे लाघवे, सच्चे, संजमे, तवे, चियाए, बंभचेरवासे -स्थानांग, 10 41. आचेलक्कुद्देसिय सिज्जायररायपिंड किइकम्मे वय-जेट्ट-पडिक्कमणे मासं पजोवसणकप्पे / -कल्पसूत्र (देवेन्द्र मुनिजी) पृ. 1 42. भागवतपुराण 11.18.6 43. मार्कण्डेयपुराण 38.5-10 44. सतीशचन्द्र जोशी ‘भविष्य पुराण' पृ. 14-15 45. लिंगपुराण (1) पृ. 68, श्लो. 10 46. सतीशचन्द्र जोशी “भविष्य पुराण” पृ. 14-15 47. शिवपुराण (माहात्म्य) 3-5-6 48. “एकरात्रं वसेद् ग्राम, त्रिरात्रं नगरे तथा" -नारदपुराण (1), पृ. 485 एवं ओमप्रकाश नीखरा ‘हरिवंशपुराण में धर्म' पृ. 85 49. दशवेकालिक सूत्र, अध्याय 3 50. अञ्जनाभ्यञ्जनोन्मर्दस्त्र्यवलेखामिषं मधु / / सुगन्धलेपालंकारांत्यजेयुर्ये धृतवताः // - 51. ब्रह्मवैवर्तपुराण, कृ. वं. 91-92 52. वही, प्रकृति खण्ड. अ. 36 53. घौतदन्तं, कृत्तनखं सदास्नानमलंकृतम्। -मत्स्यपुराण (1), पृ. 181, श्लो. 15 54. मार्कण्डेय पुराण-३८.५ . 55. डॉ. वैकुण्ठनाथ शर्मा 'ब्रह्मवैवर्तपुराण : सांस्कृतिक विवेचन' पृ. 179 56. वही 57. . लिंगानि योगिनां भूयो दिवाभिक्षासनं तथा वानप्रस्थाश्रमस्थानां समानमिदमिष्यते रात्रौ न भोजन कार्य सर्वेषां ब्रह्मचारिणाम् / / -शिवपुराण, 7.2.11.10-11 58: डॉ. ओमप्रकाश नीखरा 'हरिवंश पुराण में धर्म', पृ. 85 59. . भारंडपक्खी व चरेऽप्पमत्तो। -उत्तराध्ययन, 4.6 60. ब्रह्मवैवर्तपुराण कृ. खं. 91 61. वही 62. गरुडपुराण, उत्तरार्ध 115 63. ब्रह्मवैवर्तपुराण कृ. खं. 91 64.. आतिथ्यं श्राद्धयज्ञेषु देवयात्रोत्सवेषु च महाजनेषु सिद्ध्यर्थं न गच्छेद् योगवित् क्वचित् / / -मार्कण्डेयपुराण, 38.5 65. हरिवंशपुराण में धर्म, पृ. 90 213 / पुराणों में जैन धर्म