________________ 154. एकतो टागोलार / 150. (अ) स्कन्द पुराण (1) पृ. 192 श्लो. 65 (ब) न जलोत्तरणे शक्ता यद्वनौरकर्णवर्जिता तद्वच्छ्रेष्ठोऽप्यनाचारो विप्रो नोद्धरणक्षमः / / न केवलं हि तद्याति शेषपुण्यं प्रणश्यति / / -वही, पृ. 200, 15. 9-13 (स) प्रन्ति तस्माद् विद्वांस्तु विभियाच्च प्रतिग्रहात् स्वल्पकेनाप्यविदास्तु पंके गौरिव सीदति // यत्र वृत्तमिमे चोभे तद्धि पात्रम्प्रचक्षते // -वही, पृ. 15.15-18. (द) विष्णु पुराण 3.15.55 आचार्य हरिभद्रसूरि –'योगबिन्दु' 122, 123 152. () शिवपुराण, उमासंहिता, अ 11 (ब) गरुडपुराण (2) 196.20-21 .. (स) नारदपुराण (1) पृ. 274 (द) शिवपुराण (2) पृ. 197, श्लो. 1 . 153. पुण्य के नौ भेद -मुनि श्री मगनलाल जी म -'जैनागम स्तोक संग्रह' पृ. 8 एकतो दानमेवाहुः समग्रं वरदक्षिणम् एकतो भयभीतस्य प्राणिनः प्राणरक्षणम् / / -गरुड़ पुराण (1) 116.5 हेमधेनुधराधीनां दातारः सुलमा भुवि दुर्लभं पुरुषो लोके य: प्राणिष्वभयप्रदः / / -मार्कण्डेय पुराण (श्री पुष्कर मुनि “जैन धर्म में दान" पृ. 339) (अ) दाणाणसेहूँ अभयप्पयाणं-सूत्रकृतांग 1.6.23. (ब). प्रश्न व्याकरण 2.4 (स) उत्तरोध्ययन 18.11 (द) श्री पुष्कर मुनि -'जैन धर्म में दान : एक समीक्षात्मक अध्ययन' पृ. 339 (अ) नारद पुराण (1) पृ. 247, श्लो. 23 (ब) उपभोगाच्छतगुणं दानं सुखकरं स्मृतम्। -वामन पुराण (1) श्लो. 31 (स) नारद पुराण (2) पृ.७७ श्लो. 8 (द) गरुड़ पुराण (2) पृ. 267, अ. 4, श्लो. 6 (य) बी. सतीशचन्द्र जोशी / -'भविष्य पुराण' पृ. 148 157. (आ) 'जैन वाङ्मय में दान : प्रकार एवं माहात्म्य' (जयगुजार मार्च, 78 से) (ब) दुल्लहा उ मुहादाई, मुहाजीवी वि दुल्लहा मुहादाई मुहाजीवी, दो वि गच्छति सुग्गइं // -दशवैकालिक 5.1.100 158. (अ). वामन पुराण (1) 43.25 (ब) नक्तं दिनं निमज्ज्याप्सु कैवर्ता किमु पावनाः / / .. किं पावना प्रकर्त्यन्ते रासमा भस्म-धूसराः / / 179 / पुराणों में जैन धर्म