________________ 121. विष्णु पुराण 3.7.18 122. भगवती सूत्र.१.१ 123. (अ) “कल्याण” साधनांक पृ. 110 (ब) विष्णु पुराण 2.3 24-25 124. भागवत पुराण 7.10.41 125. (अ) 'कल्याण' साधनांक 111 (ब) बी. डॉ. सर्वानन्द पाठक “विष्णु पुराण का भारत" नवमांश से 126. मित्ति से सव्वभूएसु -श्रमणसूत्र, धर्मसूत्र गा 86 127. विष्णु पुराण 3.7.14.33 डॉ. सर्वानन्द पाठक “विष्णु पुराण का भारत" नवमांश से 128. भक्तामर स्तोत्र, श्लो. 6 129. “श्रमण” जनवरी-मार्च, 1994, पृ. 27 130. "कल्याण" जनवरी 1958, पृ. 562. 131. (अ) नारद पुराण (1) पृ. 144-145 (ब) पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रक्रान्ति च करोति य: __पुत्रस्य च स्रियाश्चैव तीर्थ गेहे सुशोभनम् / / _ -शिव पुराण (1) पृ. 420-421 श्लो. 37-40 (स) पितरौ निन्दौ येश्चानिर्दैवास्ते न संशयः॥ -स्कन्द पुराण (1) पृ. 131, 9.32 आचार्यो ब्रह्मणो मूर्ति पितामूर्तिः प्रजापतेः / माता पृथिव्या मूर्तिस्तु प्राता वै मूर्तिरात्मनः // दीप्यमान: स्वयं पुषा देववद् दिवि मोदते / मत्स्य पुराण (2) पृ. 234, श्लो. 21-27 (द) सतीशचन्द्र जोशी -'भविष्य पुराण' पृ. 14, 90 132. जैन धर्म की हजार शिक्षाएं-पृ. 111 133. (अ) स्वयमाचरते यस्तु आचारे स्थापयत्यपि . आचिनोति च शास्रार्थानाचार्यास्तेन चोच्यते // -लिंग पुराण (2) पृ. 297, श्लो. 20 (ब) वही, पृ. 297, श्लो. 22 134. रागदोसविमुक्को सीयधरसमो य आयरिओ -निशीथभाष्य 2794 (जैन धर्म की हजार शिक्षाएं पृ. 4) 135. (अ) गुरुश्च शास्रवित्प्राज्ञस्तपस्वी जनवत्सलः लोकाचाररतो वि तत्वविन्मोक्षदः स्मृतः // सर्व लक्षणसम्पन्न: सर्वशास्रविशारदः सर्वोपायाविधानज्ञस्तत्वहीनस्य निष्फलम् // -लिंग पुराण (2) पृ. 299, श्लो. 34-35 (ब) स्वसंवेद्ये परे तत्वे निश्चयो यस्य नात्मनि ____ सद्य संजायते चाज्ञा पाशोपक्षयकारिणी // -लिंगपुराण, पृ. 300, श्लो. 36-42 (स) सतीश चन्द्र जोशी भविष्य पुराण” पृ. 14-15 (द) यैः पुनर्विदितं तत्वं ते मोक्ता मोचयन्त्यपि तत्वहीने कुतो बोध: कुतो ह्यात्मपरिग्रहः ।।-शिव पुराण (2) पृ. 455-458 श्लो. 39 177 / पुराणों में जैन धर्म