________________ (ब) हरति दुष्कृतसंचयमुत्तमा, गतिमलं तनुते तनुमानिनाम्। अधिकपुण्यवशादवशात्मनां, जगति दुर्लभ साधुसमागमः // हरति ह्दयबंधकर्मपाशार्दितानां, वितरति पदमुच्चैरल्पजल्पैकभाजाम्। जन्ममरणकर्मश्रान्तविश्रान्तिहेतुस्रिजगति मनुजानां दुर्लभः सत्प्रसंगः // -स्कन्ध पुराण (1) पृ. 354, 29.11-12 –नारद पुराण-(१) पृ. 83, श्लो. 37 102. (अ) जैन धर्म की हजार शिक्षाएं पृ. 87 . (ब) अलसं अनुबध्दवैरं, सच्छदमती पयहीयव्वो-वही सवणे नाणे य विन्नाणे पच्चक्खाणे य संजमे अणण्हए तवे चेव वोदाणे अकिरिया सिद्धि / -भगवती 2.5 103. साधूनां दर्शनं पुण्यं तीर्थादपि विशिष्यते कालेन फलते तीर्थं सद्यः साधुसमागमः // -गरुड़ पुराण (2) 145, 116.23 104. धर्मार्थकामैः किं तस्य मुक्तिस्तस्य करे स्थिता समस्तजगतां मूले यस्य भक्ति: स्थिरा त्वयि // -विष्णु पुराण 1.20.27 (अ) ज्ञाताधर्मकथा 16.14 (ब) बी. जैन तत्व प्रकाश पृ. 5 . 106. श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम् अर्चनं वन्दनं दास्यं, सख्यमात्मनिवेदनम / / -भागवत पुराण 7.5.23 107. धरम जैन “जैन धर्म में नवधा भक्ति" जयगुजार जन 84 से 108. आ. सिध्दसेन दिवाकर रचित कल्याण मंदिर स्तोत्र, श्लों. 7 109. दशवैकालिक 4.34 110. 'कल्याण' साधनांक पृ. 109 -विष्णु पुराण का भारत 111. आवश्यक सूत्र द्वितीय आवश्यक, "लोगस्स" 112. "कल्याण साधनांक” पृ. 110 113. विष्णु पुराण 2.6 38-40 114. मानतुंगाचार्य रचित “भक्तामर” स्तोत्र, श्लो. 9 . 115. “विष्णु पुराण का भारत" नवमांश से 116. वादिराज मुनि रचित “एकीभाव" स्तोत्र एवं सिद्धसेन कृत 'कल्याण मंदिर' स्तोत्र, श्लो. 42 117. विष्णु पुराण 5.7.66-69 118. 'कल्याण' शिव पुराणांक, पृ. 503 119. जैन धर्म की हजार शिक्षाएं, पृ. 8 120. मोक्षमार्गस्य नेतारं, भेतारं कर्मभूभृताम् ज्ञातारं विश्वतत्वानां, वन्दे तद्गुणलब्धये // . . -तत्वार्थसूत्र मंगलाचरण सामान्य आचार / 176