________________ 22. डॉ. धर्मेन्द्रनाथ शामी -'पार्कण्डेयपुराण' पृ 235 3433, 39 23. तत्त्वार्यसूत्र 1.8 24. “बीवो उवओगलक्खयो -उत्तरायका 2811 25. श्री अमोलक ऋषिजीम - मत्व प्रवास पृ 3 22. ब्रह्मवैवर्त पुराण बख 1726 २९चैतन्यमात्मनो रूपं सिद्ध ज्ञानक्रियात्मकम् तस्यानावृतरूपत्वाच्छिद्रत्वं केन वार्यते // अन्योहमिति जानाति तया मुक्तो भवेत् शिवः॥ -शिव पुराण बोटिक सं 43 28. शिव पुराण 7.1.5.57 (शिव पुराण की दार्शनिक तथा धार्मिक समालोमा 29. जितेन्द्र चन्द्र भारतीय "शिव पुराण में शैक्दर्शन क्त्व' पृ. 165-166 30. सांख्यकारिका 18 31. विशेषावश्यक पाध्य 1582 32. “एगे आया -ठाणांग 1 33. “एगे अहमसि, न मे अत्थि कोइ न याहमवि कस्सवि // " -आचारांम 186 34. 'आत्मा शुद्धोक्षर-एकस्याखिलजन्तुषु' . -विष्णुपुराण 2.13.71 'स पर्यमाच्छुक्रमकाय_स्वयम्भू' -ईशावास्योपरिषद् 4 35. “आत्मतायाः समत्वेऽपि बढा मुक्ताः परे वत' -शिव पुण्य 11.35.63 36. पं. दलसुख मालवंषिका -'आत्मपीमांस' 38 37. जैनतत्त्व प्रकाश पृ. 36 38. 'असंख्येयप्रागादिषु जीवानाम्' -बत्वासूत्र 5.15 39. 'प्रदेशसंहारविसर्पाभ्यां प्रदीपवत्' -वही, 516 40. “जैनदर्शनसार -प्रथमोध्याय 41. कठोपनिषद् 2.2.12 42.. अंदोग्य 5.18.1 43. मैत्री, 6.38 4. बृहदा. 5.6.1 .. . 45. (क) कौषितकी 4.20 ..(ख) तैत्तिरीय 1.2 46. (क) कट 1.2,20 (ख) अंदोग्य 3.14.3 47. ब्रह्मवैवर्तपुराण, गणपतिखण्ड, अध्याय 12 4. मुनि श्री मिश्रीमल जी म कर्म व प्रस्तावमा, पृ. 30 2. उत्तराध्ययन 20. 36-37 50. “कर्म माया-नुबन्धो-स्य संसार कथ्यते बुधैः -शिव पुराण 51.31.60 51. उत्तराध्ययन सूत्र 14.19 52. सन छिज्जइ न भिज्जइ न उड़ाइ न हम्मइ कंच सबलोए-आचाव 1.3.3 83 / पुराणों में जैन धर्म