________________ 14. 15. 16. 17. 18. 22. 23. मुनि नथमल, नैतिकता का गुरुत्वाकर्षण, पृ. 3-4. ___ उमास्वाति, तत्त्वार्थसूत्र, 5/21. उत्तराध्ययनसूत्र, 25/19. आचारांग, 1/2/3/75. सागरमल जैन, सागर जैन-विद्या भारती, भाग 1, पृ.153. 19. जटासिंहनन्दि, वरांगचरित, सर्ग 25, श्लोक 33-43. 20. आचारांगनियुक्ति, 19. 21. आवश्यकचूर्णि, भाग 1, पृ. 152. जिनसेन, आदिपुराण, 19/166-167. अन्तकृद्दशांग, 3/1/3. उपासकदशांग, 1/48. वही, 1/48. 26. वही, 1/48. ज्ञाताधर्मकथा, 8 (मल्लिअध्ययन), 16 (द्रौपदी अध्ययन). अंतकृद्दशांग, 5/1/21. . स्थानांग, 10/760 / विशेष विवेचन के लिए देखेंधर्मव्याख्या, जवाहरलालजी म. और धर्म-दर्शन, शुक्लचंद्रजी म. 30. धर्मदर्शन, पृ. 86. दशवैकालिकनियुक्ति, 158. 32. नन्दीसूत्र-पीठिका, 4-17. 24. 25. 27. 28. 31. (58)