________________ पयग्गेणं, संखेजा अक्खरा, अणंता गमा अणंता पजवा परिता तसा अर्णता थावरा सासया कडा णिबद्धा णिकाइया जिणपण्णत्ताभावा आघविनंति पण्णा विजंति परूविजंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उवदंसिजंति। से एवं आया एवं णाया एवं विणाया एवं चरण-करण-परूवणया आघविजंति पण्णविजंति परूविजंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उवदंसिजंति। सेत्तं अंतगडदसाओ। नंदीसूत्र (सं. मधुकरमुनि) सूत्र 53, पृ. 183 से किं तं अंतगडदसाओ? अंतगडदसासु णं अंतगडाणं नगराइं, उजाणाई, चेइआई, वणसंडाइं, समोसरणाई, रायणो, अम्मा-पियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइअ-परलोइआ, इड्डिविसेसा, भोगपरिचाया पव्वजाओ, परिआगा, सुअपरिग्गहा, तवोवहाणाई, संलेहणाओ, भत्तपच्चक्खाणाई पाओवगमणाई अंतकिरिआओ आघविजंति। अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखिजा अणुओगदारा, संखेजाक्ढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ निजुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, संखेजाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्ठयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुअखंधे अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला, वट्ठ समुद्देसणकाला संखेजा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणता थावरा, सासयकड-निबद्ध-निकाइआ जिणपण्णत्ता भावा आघविजंति, पन्नविजंति, परूविजंति, दंसिर्जति,निदंसजंति, उवदंसिजंति। से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजड़ा से तं अंतगडदसाओ। तत्त्वार्थवार्त्तिक- पृष्ठ 51 संसारस्यान्तः कृतो यैस्तेऽन्तकृतः नमिमतंगसोमिलरामपुत्रसुदर्शन समवां मी कवलोकनिष्कंबलपालम्वष्टपुत्रा इत्येते दश वर्धमानतीर्थंकरतीर्थे।