________________ दस दसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कम्मविवागदसाओ, उवासगदसाओ, अंतगड दसाओ, अणुत्तरोववाइयदसाओ, आयारदसाओ, पण्हावागरण-दसाओ, बंधदसाओ, दोगिद्धिदसाओ, दीहदसाओ, संखेवियदसाओ। एवं अंतगडदसाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-णमि मातंगे सोमिले, रामगुत्ते सुदंसणे चेव। जमाली य भगाली य, किंकमे, चिल्लएतिय। . फाले अंबडपत्ते य एमेते दस आहिता॥ समवायांग (सं. मधुकरमुनि) प्रकीर्णक समवाय सूत्र, 539-540 से किं तं अंतगडदसाओ ? अन्तगडदसासु णं अन्तगडाणं नगराई उजाणाइं चेइयाई वणसंडाइं रायाणो अम्मापियरो समोसरणाई धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइय-परलोइया इडिविसेसा भोगपरिच्चाया पव्वजायो सुयपरिग्गहा तवोवहाणाई पडिमाओ बहुविहाओ, खमा अजवं मद्दवं च, सोअंच सच्चसिहयं, सत्तरसविहो य संजमो, उत्तमं च बंभं, आकिंचणया तवो चियाओ समिइगुत्तीओ चेव, तह अपप्मायजोगो, सज्झायज्झाणाण य उत्तमाण दोणहंपि लक्खणाई। पत्ताण य संजमुत्तमं जियपरीसहाणं चउव्विहकम्मखयम्मि जह केवलस्स लंभो, परियाओ जत्तिओ य जह पालिओ मुणिहिं, पायोवाओ य जो जहिं, जत्तियाणि भत्ताणि छेयइत्ता अंतगडोमुणिवरो तमरयोघविप्पमुक्को, मोक्खसुहमणुत्तरं च पत्ता। एए अण्णे य एवमाइ वित्थोरणं परूवेई। अंतगडदसासु णं पस्ति वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजाओ पडिवत्तीओ संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ निजुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओ। से णं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे एगे सुयक्खंघे दस अज्झयणा सत्रा वग्गा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजाइं पयसयसहस्साई