________________ पात्रों का नाम - बारक (मंगल घट), घट, करक, कलश, कक्करी, पादकाञ्चनिका (जिससे पांव धोए जाते हों), उदंक (जिससे जल का छिड़काव किया जाए), वद्धणी (वार्धनी-गलंतिका-छोटी कलसी, जिसमें से पानी रह-रहकर टपकता हो, सुपविट्ठर) (पुष्प रखने का पात्र), पारी (दूध दोहने का बर्तन : हिन्दी में पाली), चषक (सुरा पीने का पात्र), भंगार (झारी), करोडी (करोटिका), सरग (मदिरापात्र), धरग (?), पात्रीस्थल, णत्थग (नल्लक), चवलित (चपलित), अपददय। जीवाभिगम के अतिरिक्त जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति नामक उपांग में भी इनका उल्लेख है। आभूषणों के नाम - ... हार (जिसमें अठारह लड़ियां हों), अर्धहार (जिसमें नौ लड़ियां हों) वट्टणग (पेष्टनक, कानों का आमरण), मुकुट, कुण्डल, वामुत्तग (व्यागक्तक, लटकने वाला गहना), हेमजला (छेद वाला सोने का आभूषण), मणिजाल, * कनकजाल, सूत्रक (वैकक्षककृतं सुवर्णसूत्र-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-टीका, पृ.१०५ - यज्ञोपवीत की तरह पहना जाने वाला आभूषण), उचियकडग (उचितकटिकानि- योग्यवलयानि, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति- टीका), खुडुग (एक प्रकार की अंगूठी), एकावली, कण्ठसूत्र, मगरिय (मकर के आकार का आभूषण)', उरत्थ (वक्षस्थल पर पहनने का आभूषण), ग्रैवेयक (ग्रीवा का आभूषण), श्रोणिसूत्र (कटिसूत्र), चूडामणि, कनकतिलक, फुल्ल (फूल), सिद्धार्थक (सोने की कण्ठी), कण्णवालि (कानों की बाली), शशि, सूर्य, वृषभ, चक्र (चक), तलभंग (हाथ का आभूषण), तुडअ (बाहु का आभूषण), हत्थिमालय (हस्तमालक), वलक्ष (गले का आभूषण), दीनार-मालिका, चंद्रसूर्यमालिका, हर्षक, केयूर, वलय, प्रालम्ब (झुमका), अंगुमालिका। 1V