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________________ // // // 5 संवत्सर 20 युन 10 वर्षशत 100 वर्षसहस्र 84 वर्षशतसहस्र 84 पूर्वांगशतसहस्र 84 पूर्वशतसहस्र 84 त्रुटितांगशतसहस्र 84 त्रुटितांगशतसहस्र 84 अडडांगशतसहस्र 84 अडडशतसहस्र . 84 अववशतसहस्र 84 हूहुकांगशतसहस्र 84 डूडंकशतसहस्रः 84 उत्पलांगशतसहस्र 84 उत्पलशतसहस्र 84 पद्यांगशतसहस्र 84 पद्यशतसहस्र 84 नलिनांगशतसहस्र 84 नलिनशतसहस्र 84 अस्तिनीपूरांगशतसहस्र 84 अस्तिनीपूरशतसहस्र 84 अयुतांगशतसहस्र 84 अयुतशतसहस्र 84 नयुतांगशतसहस्र 84 नयुतशतसहस्र 84 प्रयुतांगशतसहस्र 84 प्रयुतशतसहस्र 84 चूलिकांगशतसहस्र 84 चूलिकाशतसहस्र = 1 युग = 1 वर्षशत = 1 वर्षसहस्र = 1 वर्षशतसहस्र = 1 पूर्वांग = 1 पूर्व = 1 त्रुटितांग = 1 त्रुटित = 1 अडडांग = 1 अडड = 1 अववांग = 1 हूहुकांग = 1 डूडंक = 1 उत्पलांग = 1 उत्पल = 1 पद्यांग = 1 पद्य = 1 नलिनांग = 1 नलिन = 1 अस्तिनीपूरांग = 1 अस्तिनीपूर = 1 अयुतांग = 1 अयुत = 1 नयुतांग = 1 नयुत = 1 प्रयुतांग = 1 प्रयुत = 1 चूलिकांग = 1 चूलिका = 1 शीर्षप्रहेलिकांग // // // // // // // // // // //
SR No.004423
Book TitlePrakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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