________________ अक्षरों का विकास हुआ है। अशोक के लेख इसी लिपि में लिखे गए थे। देखिए- डॉ. गौरीशंकर ओझा, भारतीय प्राचीन लिपिमाला, पृ.१७-३६. समवायांग सूत्र (पृ.३१ अ) में 18 लिपियों में उच्चत्तरिआ और भोगवइया लिपियों का उल्लेख है। विशेषावश्यकभाष्य की टीका (पृ.४६४) में निम्नलिखित लिपियां गिनाई गई हैं- हंस, भूट, यक्षी, राक्षसी, उड्डी, यवनी, तरुक्की, कीरी, द्राविडी, सिंघवीय, मालवी, नटो, नागरी, लाट, पारसी, अनिमित्ती, चाणक्यो, मूलदेवी। और भी देखिए- लावण्य-समयगणि, विमलप्रबंध, लक्ष्मीवल्लभ- उपाध्याय, कल्पसूत्र-टीका। चाणक्यी, मूलदेवी, अंक, नागरी तथा शून्य, रेखा, औषधि, सहदेवी आदि लिपियों के लिए देखिए- मुनि पुण्यविजय, वहीं पृ.६, अगरचंद नाहटा, जैन आगमों में उल्लिखित भारतीय लिपियां एवं 'इच्छा लिपि', नागरीप्रचारिणी पत्रिका, वर्ष 47, अंक 4, 2009 / काल की विभिन्न इकाइयां - .. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में काल की निम्न इकाइयों का उल्लेख हैअसंख्यात समय = 1 आवलि संख्यात आवलि = 1 उच्छ्वास संख्यात आवलि = 1 निःश्वास 1 उच्छ्वास निःश्वास. = प्राण 7 प्राण = 1 स्तोक 7 स्तोक = 1 लव 77 लव = 1 मुहूर्त इस प्रकार एक मुहूर्त में 77X49 = 3073 उच्छ्वास होते हैं। 30 मुहूर्त = अहोरात्र 25 अहोरात्र = 1 पक्ष 1 पक्ष = 1 मास 2 मास = 1 ऋतु = 2 अयन 2 अयन = 1 संवत्सर 3 ऋतु (140)