________________ यानों के नाम शकट, रथ, यान (गाड़ी), जुग्ग (गोल्ल देश में प्रसिद्ध दो हाथ प्रमाण चौकोर वेदी से युक्त पालकी जिसे दो आदमी ढोकर ले जाते हों), गिल्ली (हाथी के ऊपर की अम्बारी, जिसमें बैठने से आदमी दिखाई नहीं देता'), थिल्ली (लाट देश में घोड़े की जीन को थिल्ली कहते हैं। कहीं दो खच्चरों की गाड़ी को थिल्ली कहा जाता है), शिबिका (शिखर के आकार की ढंकी हुई पालकी), स्यन्दमानी (पुरुषप्रमाण लम्बी पालकी)। अनर्थ के निर्यित्त ग्रहदण्ड, ग्रहमुशल, ग्रहगर्जित (ग्रहों के सच्चार से होने वाली आवाज), ग्रहयुद्ध, ग्रहसंघाटक (ग्रह की जोड़ी), अग्रअपराव्यक (ग्रह का प्रतिकूल होना), अभ्र (बादल), अभ्रवृक्ष (बादलों का वृक्षाकार परिणत होना), सन्ध्या, गन्धर्वनगर (बादलों का देवताओं के नगर-रूप में परिणत होना), गर्जित विद्युत उत्कापात, दिशादाह, निर्घात (बिजली का गिरना), पांशुवृष्टि, यूपक (शुक्ल पक्ष के द्वितीया आदि तीन दिनों में चंद्र की कला और संध्या के प्रकाश का मिलन) यक्षदीप्पक, धूमिका (धुंआसा), महिका (कुहरा), रज-उद्घात (दिशाओं में धूल का फै ल जाना), चन्द्रोपराग (चंद्रग्रहण), सूर्योपराग (सूर्यग्रहण), चण्डपरिवेश, प्रतिचंद्र, प्रतिसूर्य, इंद्रधनुष, उदकमत्स्य (इंद्रधनुष का एक टुकड़ा), कपिहसित (आकाश में अकस्मात् भयंकर शब्द होना), प्राची वात, अप्राचीवात, शुद्धवात, ग्रामदाह, नगरदाह आदि। कलह की विभिन्न अवस्थाएं - डिम्ब (अपने देश में कलह), डमर (परराज्य द्वारा उपद्रव), कलह, बोल, खार (मात्सर्य), पैर, विरुद्ध राज्य। युद्ध का स्वरूप - . . महायुद्ध, महासंभाम, महाशस्त्रनिपतन, महापुरुषबाण, महारुधिरबाण, नागबाण, तामसबाण। रोगों के नाम - - दुर्भूत (अशिव), कुलरोग, ग्रामरोग, नगररोग, भण्डलरोग, शिरोवेदना, अभिवेदना, कर्णवेदना, नासिकावेदना, दंतवेदना, नखवेदना, कास (खांसी), श्वास, ज्वर, दाह, कच्छू (खुजली), खसर, कोढ़, अर्श, अजीर्ण, भगन्दर, (129