________________ से आते-जाते हों), आकर (जहां लोहे की खाने हों,) आश्रम, संबाध (जहां यात्रा के लिए बहुत से लोग आते हों), राजधानी, सन्निवेश (जहां सार्थ आकर उतरते हों) प्रशासकों एवं श्रेष्टियों के नाम राजा, युवराज, ईश्वर (अणिमा आदि आठ ऐश्वर्यों से सम्पन्न), तलवर 3 (नगररक्षक, कोतवाल), माडम्बिय (मडम्ब के नायक), कौटुम्बिक (अनेक कुटुम्बों के आश्रयदाता राजसेवक), इम्य (प्रचुर धन के स्वामी), श्रेष्ठी (जिनके मस्तक पर देवता की मूर्ति सहित सुवर्णपट्ट बंधा हो), सेनापति, सार्थवह (सार्थ का नेता)। दासों के प्रकार - ___ दास (आमरण दास), प्रेव्य (जो किसी काम के लिए भेजे जा सकें), शिष्य, भृतक (जो वेतन लेकर काम करते हों), भाइंल्लग (भागीदार), कर्मकर। गृहस्थ जीवन की विविध क्रियाएं - . . आवाह (विवाह के पूर्व ताम्बूल इत्यादि देना), विवाह यज्ञ (प्रतिदिन इष्टदेवता की पूजा), श्राद्ध, थालीपाक (गृहस्थ का धार्मिक कृत्य), चेलोपनयन . (मुण्डन), सीमंतोन्नयन (गर्भ का संस्कार), मूतपिडनिवेदन। मेलों एवं उत्सवों के नाम - इंद्रमह, स्कंदमह, रुद्रमह, शिवमह, वैश्रमणमह, मुकुंदमह, नागमह, यक्षमह, भूतमह, कूपमह, तडागमह, नंदीमह, हृदमह, पर्वतमह, वृक्षारोपणमह, चैत्यमह, स्तूपमह। नट आदि कलाकारों के नाम - ___नट (बाजीगर), नर्तक, मल्ल (पहलवान), मौष्टिक (मुष्टियुद्ध करने वाले), विडम्बक (विदूषक), कहग (कथाकार), प्लवग (कूदने-फांदने वाले), आख्यायक, लासक (रास गाने वाले), लंख (बांस के फड़ पर चढ़कर खेल करने वाले), मंख (चित्र दिखाकर भिक्षा मांगने वाले), तूण बजाने वाले, वीणा बजाने वाले, कावण (बहंगी ले जाने वाले), मागध, जल्ल (रस्सी पर खेल करने वाले)। (128)