________________ (हस्तमालक), वलभ (गले का आभूषण), दीनार-मालिका, चंद्रसूर्यमालिका, हर्षेक, केयूर, वलय, प्रालम्ब (झुमका), अंगु-लोयक (अंगूठी), कांची, मेखला, पयरग (प्रतर), पादजाल। (पैरों का आभूषण), घंटिका, किंकिणी, रयणोरुजाल (रत्नोरुजाल), नूपुर, चरणमालिका, कनकनिकरमालिका। भवनों के विभिन्न विभाग प्राकार, अट्टालग (अटारी), चरिय (गृह और प्राकार के बीच का मार्ग), द्वार, गोपुर, प्रासाद, आकाशतल, मण्डप, एकशाला (एक घर वाला मकान), द्विशाला, त्रिशाला, चतुःशाला', गर्भगृह, मोहन-गृह, चौकोण घर, नन्द्यावर्त्त, पंडुरतलहर्म्य (जिसमें शिखर न हो), धवलगृह (धरहरा), अर्धमागधविभ्रम (?), शैलसंस्थित (पर्वत के आकार का), शैलार्धसंस्थित, कूटागार, सुविर्धिकोष्इक, शरणं (झोपड़ी आदि), लयन (गुफा) विडंक (प्रासाद के अग्रभाग में कबूतरों के रहने का स्थान), जालवृन्द (गवाक्षसमूह), नि!ह (खूटी अथवा द्वार), अपवरक (भीतर का कमरा), दीवाली (?), चंद्रशालिका। वस्त्रों के नाम - . . आजिनक (चमड़े का वस्त्र), क्षौम, कम्बल, दुकूल, कौशेय, कालमृग के चर्म से बना वस्त्र, पट्ट, चीनांशुक, आभरणचित्र (आभूषणों से चित्रित), सहिणगकलणग (सूक्ष्म और सुंदर वस्त्र) तथा सिन्धु द्रविड़ वंग, कलिंग आदि देशों में बने वस्त्र। मिष्टान्त के नाम गुड़, खांड, शक्कर, मत्स्वण्डी (मिसरी), बिसकंद, पर्पट-मोदक, पुष्पोत्तर, पद्मोतर, गोक्षीर। बस्तियों के विभिन्न प्रकार - ग्राम 1, नगर, निगम (जहां बहुत से वणिक् रहते हों), खेट (जिसके चारों ओर मिट्टी का परकोआ बना हो), कर्बट (जो चारों और से पर्वत से घिरा हो), मडंब (जिसके चारों ओर पांच कोस तक कोई ग्राम न हो), पट्टण (जहां विविध देशों से माल आता हो), द्रोणमुख (जहां अधिकतर जलमार्ग (127)