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________________ 10. चंद चंद्रोद्गमन दर्शन और सूर्योद्गमन दर्शन का अभिनय। चंद्रागम दर्शन, सूर्यागम दर्शन का अभिनय। चंद्रावरण दर्शन, सूर्यावरण दर्शन का अभिनय। चंद्रास्त दर्शन, सूर्यास्त दर्शन का अभिनय। चंद्रमण्डल, सूर्यमण्डल, नागमण्डल, यक्षमण्डल, भूतमण्डल, राक्षस मण्डल, गन्धर्वमण्डल के भावों का अभिनय। द्रुतविलम्बित अभिनय। इसमें वृषभ और सिंह तथा घोड़े और हाथी की ललित गतियों का अभिनय है। 12. सागर और नागर के आकारों का अभिनय। 13. नन्दा और चम्पा का अभिनय। सत्स्यांउ, मकरांड, जार और मार की आकृतियों का अभिनय। क, ख, ग, घ, ड. की आकृतियों का अभिनय। 16. च वर्ग की आकृतियों का अभिनय। 17. ट वर्ग की आकृतियों का अभिनय। 18. प वर्ग की आकृतियों का अभिनय। 19. अशोक, आम्र, जंबू, कोशम्ब के पल्लवों का अभिनय। 20. त वर्ग की आकृतियों का अभिनय। 21. पद्मनाम, अशोक, चंपक, आम्र, वन, वासन्ती, कुंद, अतिमुक्तक और श्यामलता का अभिनय। द्रुतनाट्य। 23. विलंबितनाट्य। द्रुतविलंबित नाट्य। 25. अंचित। रिभित / .. . अंचिरिभित। 28. आरभट। 29. भसोल (अथवा भसल)। 30.. आरभटभसोल। 31. उत्पात, निपात, संकुचित, प्रसारित रयारइय, भ्रांत और सभ्रांत 24. 27.
SR No.004423
Book TitlePrakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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