SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 55. 43: वत्थुविद्या (वास्तुविद्या) 44. . खंधारमाण (सेना के परिमाण का ज्ञान) 45. नगरमाण (नगर के परिमाण का ज्ञान) 46. वत्थुनिवेसरण (घर की नींव आदि रखने का ज्ञान) 47. वूह (व्यूह रचना का ज्ञान) 48. पडिवूह (प्रतिद्वंद्वी के व्यूह का ज्ञान) चार (ग्रहों की गति आदि का ज्ञान) प्रतिचार (ग्रहों की प्रतिकूल गति का ज्ञान) चक्रव्यूह 52. गरुडव्यूह 53. शकटव्यूह 54. जुद्ध (युद्ध) निजुद्ध (मल्लयुद्ध) जुद्धातिजुद्ध (घोरयुद्ध) मुट्ठिजुद्ध (मुष्टियुद्ध) 58. बाहुज़ुद्ध (बाहुयुद्ध) लयायुद्ध (लता की भांति शत्रु से लिपटकर युद्ध करना) इसत्थ (इषु अर्थात् बाण और अस्त्रों का ज्ञान) छरुप्पवायं (खड्गविद्या) धणुव्वेय (धनुर्वेद) 63. हरिण्णपाग (चांदी बनाने की कीमिया) 64. सुव्वणपाग (सोना बनाने की कीमिया) 65. वट्टखेड (वस्त्र का खेल बनाना) 66. . सुत्तेखड' (रस्सी या डोरी से खेल करना) 67. णलियाखेड (एक प्रकार का जुआ) 68. पत्तेच्छेज्ज (पत्ररचना) 69. कउच्छेज (अनेक वस्तुओं को क्रमशः छेदना) सजीव (मृत धातुओं को स्वाभाविक रूप से लाना) 71. निजीव' (सुवर्ण आदि धातुओं का मारना) 61. 62.
SR No.004423
Book TitlePrakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy