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________________ 21. 16. पाणविहि (पानी स्वच्छ करने और उसके गुण दोष परखने को विद्या अथवा जल-पान की विधि) 17. वत्थविहि (वस्त्र पहनने की विद्या) 18. विलेषणविहि (केशर, चंदन आदि के लेपन करने की विद्या) 19. सयाविहि (पलंग, बिस्तर आदि के परिणाम का ज्ञान अथवा शयन सम्बंधी ज्ञान) 20. अज (आर्या छंद के भेद-प्रभेदों का ज्ञान) पहेलिय (पहेली का ज्ञान) 22. मागहिय (मागधी छंद का ज्ञान) 23. गाहा (गाथा का ज्ञान) 24. सिलोय (श्लोक के भेद-प्रभेदों का ज्ञान) 25. हिरण्णजुत्ती (सुवर्ण के आभूषण पहनने का ज्ञान) 26. सुवण्णजुत्ती (सुवर्ण के आभूषण पहनने का ज्ञान) चुण्णजुत्ती (स्नान, मंजन आदि के लिए चूर्ण बनाने की युक्ति) 28. आभरणविहि (आभरण पहनने की विधि) 29. तरुणीडिकम्म (युवतियों के सुंदर होने की विधि) 30. इत्थीलक्खण (स्त्रियों के लक्षण का ज्ञान) 31. पुरिसलक्खण (पुरुषों के लक्षण का ज्ञान) , 32. हयलक्खण (घोड़ों के लक्षण का ज्ञान) 33. गयलक्खण (हाथियों के लक्षण का ज्ञान) गोणलक्खण (गायों के लक्षण का ज्ञान) 35. कुल्कुडलक्खण (मुर्गों के लक्षण का ज्ञान) चक्कलक्खण (चक्र के लक्षण का ज्ञान) छत्तलक्खण (छह के लक्षण का ज्ञान) चम्मलक्खण (चमड़े के लक्षण का ज्ञान) दंडलक्खण (दंड के लक्षण का ज्ञान) असिलक्खण (तलवार के लक्षण का ज्ञान) 41. मणिक्खण (मणि के लक्षण का ज्ञान) 42. काकणीलक्खण (काकणी रत्न के लक्षण का ज्ञान) 3 37. 40.
SR No.004423
Book TitlePrakrit Agam evam Jain Granth Sambandhit Aalekh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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