________________ कायगुत्तो वचीगुत्तो आहारे उदरे यतो। सच्चं करोमि निदानं सोरच्चं मे पमाचनं // 3 // रिरियं मे धुरधोरम्हं योगक्खेमाधिवाहनं / गच्छति अनिवत्तन्तं यत्थ गन्त्वा न सोचति // 4 // एवमेसा कसी कट्ठा सा होति अमतप्फला। एतं कसिं कसित्वान सम्बदुक्खा पमुच्चतीति // 5 // - सुत्तनिपात, 4 - कसिभारद्वाजसुत्त 25. अहं च भोयरायस्स तं च सि अन्धगवण्हिणो। मा कुले गन्धणा होमो संजमं निहुओ चर // - उत्तराध्ययन, 22/44 26. पक्खंदे जलियं जोइं, धूमकेउं दुरासयं। नेच्छति वंतयं भोत्तुं, कुले जाया अगंधणे // - दशवैकालिक, 1/6 27. आन्गणे कुले जातो जधा जागो महाविसो। . मुंचिता सविसं भूतो पियन्तो जातो लाघवं // - इसिभासियाई, 45-40 28. (अ). इसिभासियाई, 26/15 (ब). इसिभासियाई, 32/4 29. See --Introduction of lsibhasiyaim, by walther schubring, Ahmedabad-1974 * देखें - भगवती शतक, 15. 31. देखें- उपासकदसांग, अध्याय 6 एवं 7. 32. ज्ञाताधर्मकथा, द्रौपदी नामक अध्ययन 33. पत्तेयबुद्धमिसिणोबीसं तित्थे अरिट्टणेमिस्स। पासस्स य पण्णरस वीरस्स विलीणमोहस्स // - इसिभासियाई, संपा.- मनोहरमुनि, परिशिष्ट नं.१ 34. . नारयरिसिपामुक्खे, वीसं सिरिनेमिनाहतित्थम्मि। ___ पन्नरस पासतित्थे, दस सिरिवीरस्स तित्थम्मि // 44 // और 30.