________________ अकूडत्तं च कूड़ेसु, विणए णियमणे ठिते। तितिक्खा य हलीसा तु दया गुत्ती य पग्गहा // 9 // सम्मत्तं गोत्थणवो, समिती उ समिला तहा। थितिजोत्तसुसंबद्धा सव्वण्णुवयणे रया // 10 // पंचैव इंदियाणि तु खन्ता दन्ता य णिजिता। माहणेसु तु ते गोणा गंभीरं कसते किसिं // 11 // तवो बीयं अवंझं से, अहिंसा णिहणं परं। ... ववसातो घणं तस्स, जुत्ता गोणा य संगहो // 12 // थिती खलं वसुयिकं, सद्धा मेढी य णिच्चला। भावणा उ वती तस्स, इरिया दारं सुसंवुडं // 13 // कसाया मलणं तस्स, कित्तिवातो व तक्खमा। णिज्जरा तु लवामीसा इति दुक्खाण णिक्खति // 14 // एतं किसिं कसित्ताणं सव्वसत्तदयावहं। माहणे खत्तिए वेस्से सुद्दे विसुज्झती // 15 // , ... , - इसिभासियाई, 26/8-15 (ब). 'कतो छेत्तं कतो बीयं, कतो ते जुगणंगले ? गोणा वि ते ण पस्सामि, अजो, का णात ते किसी // 1 // आता छेत्तं, तवो बीयं, संजमो जुगणंगलं। " अहिंसा समिती जोजा, एसा घम्मन्तरा किसी // 2 // एसा किसी सोभतरा अलुद्धस्स वियाहिता। एसा बहुसई होई परलोकसुहावहा // 3 // एयं किसिं कसित्ताणं सव्वसत्तदयावह। माहणे खत्तिए वेस्से सुद्दे वावि य सिज्झती'॥ 4 // - इसिभासियाई, 32/1-4 सद्धा बीजं तपो वुट्ठि पञ्जा में युगनंगलं। हिरि ईसा मनो योत्तं सति मे फालपाचनं // 2 // 24. (96)