SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैनधर्म एवं दर्शन-28 जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-24 कहें तो विवेकशीलता को सम्यक् - ज्ञान कहा जा सकता है। जब हमारे आचरण के साथ आत्मचेतनता और विवेकशीलता जुड़ेगी तभी हमारा आचरण धार्मिक बनेगा। विवेक एक ऐसा तत्व है जो प्रत्येक आचार और व्यवहार का देश, काल और परिस्थिति के संदर्भ में सम्यक् मूल्यांकन करता है। विवेक शक्ति के मूल्यांकन की क्षमता का परिचायक है। विवेक एक ऐसी क्षमता है जो सम्पूर्ण परिस्थिति को दृष्टि में रखकर आचरण के परिणामों का निष्पक्ष मूल्यांकन करती है जीवन में जब विवेक का विकास होता है, तो दूसरों के दुःख और पीड़ा का आत्मवत् दृष्टि से मूल्यांकन होता है स्वार्थवृत्ति क्षीण होने लगती है, समता का विकास होता है और जीवन में धर्म का प्रकटन होता है। इस प्रकार विवेक धर्म और धार्मिकता का आवश्यक लक्षण है। धर्म और धार्मिकता का विकास विवेक की भूमि पर ही सम्भव है, अतः विवेक धर्म है। . आपधार्मिक हैं या नहीं? इसकी सीधी और साफ पहचान यही है कि आप किसी क्रिया को करने के पूर्व उसके परिणामों पर सम्यक् रूप से विचार करते हैं। क्या आप अपने हितों और दूसरों के हितों का समान रूप से मूल्यांकन करते हैं? यदि इन प्रश्नों का उत्तर सकारात्मक है तो निश्चय ही आपधार्मिक हैं। विवेक के आलोक में विकसित आत्मवत् - दृष्टि ही धर्म और धार्मिकता का आधार है। . मनुष्य और पशु में तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण अंतर इस बात को लेकर है कि मनुष्य में संयम की शक्ति है, वह अपने आचार और व्यवहार को नियंत्रित कर सकता है। यदि हम पशु का जीवन देखें तो हमें लगेगा कि वे एक प्राकृतिक जीवन जीते हैं। पशुतभी खाता है जब भूखा होता है। पशु के लिए यह सम्भव नहीं है कि भूखा होने पर खाद्य-सामग्री की उपस्थिति में वह उसे न खाए। किंतु मनुष्य के आचरण की एक विशेषता है, वह भूखा होते हुए भी और खाद्य-सामग्री के उपलब्ध होते हुए भी भोजन करने से इंकार कर देगा, दूसरी ओर मनुष्य के लिए यह भी सम्भव है कि भरपेट
SR No.004421
Book TitleJain Dharm evam Sahitya ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages152
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy