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________________ जैन धर्म एवं दर्शन-137 पंचाङग्नयनविधि तिथिसारणी यशोराजीपद्धति त्रैलोक्यप्रकाश जेइसहीर ज्योतस्सार पंचाड़.तत्व पंचाड्.तत्व टीका पंचांगतिथिविवरण पंचाड्.दीपिका पंचांगपत्रविचार बलिरामानन्दसारसंग्रह . गणसारणी लालचन्द्रीपद्धति टिप्पनकाविधि होरामकरन्द विवाहपटल कराराज दीक्षा-प्रतिष्ठाशुद्धि विवाहरत्न ज्योतिप्रकाश खेटचूला जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-133 षष्टिसंवत्सरफल लघुजातक-टीका जातकपद्धति-टीका ताजिकसार-टीका करणकुतूहल-टीका ज्योतिविदाभरण-टीका महादेवीसारिणी-टीका विवाहपटल-बालावबोध ग्रहलाघव-टीका चन्द्रार्की-टीका षट्पच्चाशिका-टीका भुवनदीप-टीका चमत्कारचिन्तामणि-टीका होरामकरन्द-टीका वसन्तराजशाकुन-टीका शकुनरहस्य शकुनशास्त्र शकुनरत्नावली-कथाकोश शकुनावलि शकुनद्वार शकुनविचार प्रकाश जैन दार्शनिक साहित्य जहाँ तक जैन धर्म के दार्शनिक-साहित्य का प्रश्न है, उसे मुख्य रूप से तीन भागों में बाटा गया है - (1) प्राकृत भाषा का जैन-दार्शनिक-साहित्य (2) संस्कृत भाषा का जैन-दार्शनिक-साहित्य और (3) आधुनिक युग का जैन-दार्शनिक-साहित्य /
SR No.004421
Book TitleJain Dharm evam Sahitya ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2015
Total Pages152
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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