________________ जैन धर्म एवं दर्शन-131 जैन धर्म एवं साहित्य का इतिहास-127 आदि तथा दर्शन के क्षेत्र में जैन तर्कभाषा, नयोपदेश, नयसहस्र, न्यायालोक, स्यादवाद-कल्पलंता आदि उनके अनेक ग्रन्थ प्रसिद्ध हैं। उनके पश्चात्, 18वीं, 19वीं और 20वीं शताब्दी में जैन-दर्शन पर संस्कृत भाषा में कोई महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा गया हो, यह हमारी जानकारी में नही है, यद्यपि तत्त्वार्थसूत्र की शैली पर आचार्य तुलसी के जैन-सिद्धान्त-दीपिका और मनानुशासनम् नामक ग्रन्थों की संस्कृत भाषा में रचना की है, फिर भी इस कालखण्ड में संस्कृत-भाषा में दार्शनिक-ग्रन्थों के लेखन की प्रवृत्ति नहीवत् ही रही है। संस्कृत के जैन-चरित-काव्य एवं महाकाव्य महापुरुषों की जीवन-गाथाओं के आधार पर जैन धर्म की श्वेताम्बर एवं दिगम्बर-परम्पराओं में अनेक संस्कृत-ग्रन्थों की रचना हुई है। महापुराण (आदिपुराण और उत्तरपुराण) तथा हेमचन्द्र का त्रिशष्टि-शलाका महापुराण चरित्र तो प्रसिद्ध है ही। इसके अतिरिक्त भी, महापुरुषों पर अनेक पुराण और चरितकाव्य भी रचे गये, जैसे- पद्यानन्द-महाकाव्य, अजितनाथपुराण, चन्द्रप्रभचरित, श्रेयांसनाथचरित, वासुपूज्यचरित, विमलनाथचरित, शान्तिनाथपुराण, शान्तिनाथचरित, मल्लिनाथचरित, मुनिसुव्रतचरित, नेमिनाथमहाकाव्य, नेमिनाथचरित, पार्श्वनाथचरित, महावीरचरित, वर्द्धमानचरित, अममस्वामिचरित, प्रत्येकबुद्धचरित, केवलिचरित, श्रेणिकचरित्र, महावीरकालीन श्रेणिक के परिवार के सदस्यों एवं अन्य पात्रों के चरित, प्रभावक आचार्यों के चरित, खरतरगच्छीय-आचार्यों के जीवनचरित्र, कुमारपालचरित्र, वस्तुपाल-तेजपालचरित, विमलमंत्रिचरित, जगडूचरित, सुकृतसागर, पृथ्वीधरप्रबंध, चावडप्रबंध, कर्मवंशोत्कीर्तनकाव्य, क्षेमसौभाग्यकाव्य आदि। इनके अतिरिक्त, प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव, बारह चक्रवर्तियों एवं अन्य शलाका-पुरुषों पर भी संस्कृत में अनेक रचनाएँ जैनाचार्यों ने लिखी हैं। इसके अतिरिक्त, निम्न काव्य और महाकाव्य भी जैनाचार्यों द्वारा रचित हैं जैसे- प्रद्युम्नचरितकाव्य, नेमिनिर्वाणमहाकाव्य, चन्द्रप्रभचरितमहाकाव्य, वर्द्धमानचरित, धर्मशर्माभ्युदय, सनत्कुमारचरित, जयन्तविजय, नरनारायणानन्द, मुनिसुव्रतकाव्य, श्रेणिकचरित, शान्तिनाथचरित, जयोदय महाकाव्य, बालभारत लघुकाव्य, श्रीधरचरितमहाकाव्य